इस आर्टिकल से आज हम Financial Market Instruments in Hindi के बारे में जानेंगे।
Financial Market Instruments
Table of Contents
Financial Market Instruments तीन प्रकार के होते हैं और इन सभी के जरिये ही Finance Market चलता हैं।
इन सभी के बारे में आपको जानकारी होनी ही चाहिए ताकि भविष्य में आप अच्छी जानकारी से अपने पैसे को अच्छी तरह कही भी Invest कर सके।
Instruments के प्रकार –
- Money Market Instruments
- Capital Market Instruments
- Hybrid Instruments
1. Money Market Instruments :
Money Market क्या होता हैं ?
Money Market एक Short- Term Money Market हैं इसमें Financial Assets ही Money के रूप में काम करता हैं।Short-Term यहाँ कहने का तात्पर्य एक साल की अवधि हैं जिसमें आप किसी भी Financial Assets को Minimum Transaction Cost के रूप में रूपांतरण (Transformation) कर सकते हैं।
Call/Notice Money:
- जैसा की हम पहले ही देख चुके हैं की Money Market के Instruments का तात्पर्यहैं की इसकी अवधि काफी short-term के लिए होती हैं।
- इसकी अवधि लगभग 1-14 दिनों के लिए होती हैं, यथार्थ जो Money 1 दिन के लिए उधार के रूप में लिया जाता हैं उसे “Call Money”कहते हैं। अगर यह अवधि 1 दिन से ज्यादा तथा 15 दिन से कम की होती हैं तो उसे “Notice Money” कहा जाता हैं।
- Call Money के लिए कोई Collateral Security की जरुरत नहीं होती।
Treasury Bill:
Treasury bill एक Short-term Instruments हैं इसकी अवधि लगभग एक साल के लिए होती हैं।
- Treasury bill की अधिकत्तम परिपक्वत्ता 365 दिन का होता हैं जिसे बैंक तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं द्वारा आयोजित किया जाता हैं यह एक साल से कम का होता हैं जैसे इसका issue dates (14/91/182/364) हैं।
- उदहारण के तौर पर अगर Treasury Bill 100 रूपए का हैं तो यह 97.5 रूपए discount के रूप में 97.5 रूपए में ही availed किया जायेगा पर Maturity होने पर यह पुरे 100 रूपए दिए जायेंगे।
Certificate of Deposit:
Certificate of Deposit एक कम जोखिम वाला financial साधन हैं | बैंक तथा अन्य वित्तीय संस्थाए अपने आवश्यकतानुसार CD’s issue करती हैं।
- CD’s को savings account की तरह ही माना जाता हैं लेकिन CD’s की अपनी एक fixed term होती हैं जैसे जैसे एक साल तीन महीना तथा छह महीना।
- CD’s काफी safe हैं अगर आप stock तथा bonds की तुलना इससे करे तो आपको guaranteed rate of interest मिलता हैं जोकि fixed होता हैं।
Commercial paper:
Commercial paper एक debt instrument हैं यह एक unsecured money market instrument हैं।
- इसकी अवधि एक साल के लिए होती हैं तथा इसे एक Promissory Note के तौर पर जारी किया जाता हैं।
- इसे बड़े बैंको द्वारा जारी किया जाता हैं ताकि छोटे अवधि के वित्तीय दायित्वो को पूरा किया जा सके।
- इसकी न्यूनतम अवधि 7 दिन की होती हैं जोकि साल के लिए भी हो सकती हैं।
2. Capital Market Instruments :
Capital Market वैसे तो long-term के लिए होता हैं लेकिन इसकी अवधि लगभग एक साल से भी ज्यादा की होती हैं। मुख्यतः यह दो प्रकार की होती हैं जैसे –
- Equity Securities
- Debt Securities
Equity Share:
Companies Act 1956 के अनुसार equity share को “Ordinary Share” भी कहा जाता हैं।
- कंपनी के लिए इक्विटी शेयर capital के रूप में होता हैं, कंपनी अपनी लॉन्ग टर्म (Long-term) कैपिटल के लिए equity share के तौर पर ही पैसा इकट्ठा करती हैं।
- Equity share holder उसे कहा जाता हैं जिसके पास यह शेयर होता हैं,इसे “Owner’s fund” भी कहा जाता हैं | कोई भी कंपनी शेयर issue करती हैं और shareholder उस शेयर को खरीदकर उसका पार्टनर बन जाता हैं।
- Share के बदले dividend के रूप में लाभ प्राप्त होता हैं। Equity share holders को कोई preferential rights नहीं मिलते जितना की preference shares holders को मिलते हैं।
Preference Share:
Preference share को Preferred Stocks भी कहा जाता हैं। Preference shares साधारणतः कंपनी के MD’s, promoters को दिए जाते हैं।
- Preference share के dividend fixed होते हैं|Common stock की तुलना में preference share holders को शेयर पहले pay किये जाते हैं।
- Preference share holders को उनके शेयर में preferential rights दिया जाता हैं।
Debenture:
Debenture की अवधि मध्यम से लेकर लम्बे समय तक के लिए होती हैं |यह एक Debt instruments हैं जिसका उपयोग बड़ी कम्पनियाँ उधार लेने के लिए करती हैं।
- Debenture का उपयोग कंपनी के फण्ड को बढ़ाने के लिए किया जा सकता हैं लेकिन इसे कभी share capital नहीं कह सकते यह एक capital structure का भाग हैं।
- Debenture holders को कंपनी के shareholders के general meetings में वोट करने का कोई rights नहीं होता हैं।
Bonds:
Bond, Bond Issuer तथा के बीच का एक लोन एग्रीमेंट (Loan Agreement) होता हैं जिसके बदले ब्याज के तौर पर उधार कर्त्ता को पैसे देने पड़ते हैं साथ ही साथ एक अवधि के बाद कुल राशि लौटानी भी पड़ती हैं।
3. Hybrid Instruments:
जिस Instrument में equity तथा debt दोनों की विशेषताएं पायी जाती हैं उसे Hybrid Instruments कहते हैं। जैसे convertible debenture, warrants इत्यादि।
इस प्रकार इस आर्टिकल के द्वारा हमने financial instruments के बारे में जाना। वैसे Money Market, RBI (Reserve bank of India) द्वारा चलाया जाता हैं वही Capital Market को SEBI (Securities Exchange Board of India) द्वारा चलाया जाता हैं।
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