Affidavit क्या होता है और Affidavit का क्या महत्त्व होता है?
दोस्तों हम सब ने कभी न कभी एफिडेविट के बारे में जरूर सुना होगा। घर किराये से लेकर कोर्ट प्रोसीडिंग तक हर जगह एक एफिडेविट एक जरूरी डॉक्यूमेंट होता है।
Affidavit क्या होता है ?
बचपन से हम एक कहावत सुनते आये है, “सौ बक्का, एक लिख्खा”। इसका मतलब है, की जब तक कोई भी चीज लिखित स्वरुप में ना हो, उसे किसी भी चीज का आधार नहीं मान सकते, ना ही उस चीज को सबुत के तोर पर पेश कर सकते है।
आदमी की प्रायः यह फितरत होती है कि वह अपना कहा हुआ बयाँ पलट देता है।
इसलिए बड़े-बुजुर्ग कहते है कि कोई भी कार्य करते समय उसे लिखित में अवश्य किया जाये।
और यह लिखित सबुत प्रायः शपथ-पत्र या affidavit द्वारा स्थापित किये जाते है।
Affidavit-किसी भी व्यक्ति या कंपनी द्वारा लिखित रूप में, किसी कार्य को करने अथवा न करने की स्वेच्छा से ली गई तथ्यात्मक घोषणा को affidavit (शपथ-पत्र) या हलफनामा भी कहते हैं।
यह लिखित घोषणा नोटरी पब्लिक (notary public) या ओथ कमिश्नर (Oath Commissioner) जैसे व्यक्ति के समक्ष ली जाती है जिसे विधि द्वारा उसके लिए authorized किया गया हो।
Affidavit (शपथ-पत्र) यह एक सत्यपत्र होता है। जिसके आधार पर शपथकर्ता शपथ लेकर बयान देता है कि वह जो कुछ भी कह रहा है वह सच है।
इसके बाद उसे उस Affidavit के निचे अपना दस्तखत (signature) करता है और फिर उस बयान को ओथ कमिश्नर या नोटरी पब्लिक अटेस्टेड (attested) करता है।
स्टाम्प पेपर फीस:
एफिडेविट को stamp पर लिखा जाता है। अलग-अलग राज्यों का उनका अपना-अपना stamp duty act है।
इस कारण सभी राज्यों में उनके रूल्स के अनुसार, अलग-अलग stamp fee होती है।
सामान्यतः सबंधित अथॉरिटीज की डिमांड के हिसाब से 10 रुपये से 100 रुपए के स्टांप पेपर पर ऐफिडेविट तैयार होता है।
भाषा का इस्तेमाल:
किसी भी Affidavit को English, हिन्दी या अपने राज्य के भाषा में बनवाया जा सकता है।
लेकिन सामान्यतः High Court या Supreme Court में affidavit English में ही दिया जाता है।
एफिडेविट के प्रकार:
सरकारी या गैर सरकारी ऑफिस में शपथ के रूप में:
सबसे पहला एफिडेविट का यह एक प्रकार है जिसे जब हम किसी सरकारी या गैर सरकारी ऑफिस में शपथ के रूप में देते हैं।
शादी, जन्म, राशन कार्ड आदि बनवाने के कार्य से सम्बंधित सरकारी या गैर सरकारी कार्यालयों में ऐसे जमा करके सत्यापित किया जाता है।
आप इस प्रकार के ऐफिडेविट का इस्तेमाल कोर्ट और अर्द्धन्यायिक(semi judicial) संस्था में भी कर सकते है।
लेकिन याद रखें की इस एफिडेविट में लिखित हर एक शब्द बिलकुल सच होना चाहिए नहीं तो आप का शपथ पत्र रद्द भी किया जा सकता है और सजा भी हो सकती है।
अदालत में दिए जाने वाले:
दूसरा एफिडेविट वह होता है जो हम कोर्ट में लिख कर देते हैं। यह एफिडेविट दो तरह का होता है।
इसमें कोर्ट के नियमों के अनुसार शपथकर्ता को अपने बोलने वाली बात लिख करके देनी होती है।
पहला एफिडेविट कोर्ट में नये केस या एप्लीकेशन के साथ दिया जाता है। इसके ऊपर कोर्ट का नाम लिखा हुआ होता है।
इसका उपयोग ज्यादातर चेक बाउंसिंग के केस में या सिविल केस के रूप में किया जाता है।
और दूसरा एफिडेविट वह होता है, जो कोर्ट में गवाही के तौर पर दिया जाता है।
जिसमे शपथकर्ता अपने कोर्ट में दी गयी गवाही की बातें लिखता है।
यह एफिडेविट बहोत महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसमें लिखी गयी चींजे सबुत के तौर पर काम करती है। यह एफिडेविट सभी कोर्ट में चलता है।
हलफनामे के रूप में:
सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में दिया जाने वाला एफिडेविट हलफनामे के रूप में पेश किया जाता है।
इस एफिडेविट में शपथकर्ता अपने कहे जाने वाली बात को लिख कर के सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में देता है।
यह एफिडेविट सामान्यतः अंग्रेज़ी या हिन्दी भाषा में होता है।
हाँ, शपथकर्ता अपनी बोली जाने वाली भाषा में भी हलफनामा दे सकता है, बशर्ते इसके लिए उसे सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट की पहले से ही मंजूरी लेनी पड़ती है।
एफिडेविट बनवाने का तरीका:
1: सबसे पहले आपको आपके नाम का स्टाम्प पेपर लेना होता है।
उसके ठीक निचे वाली जगह में सबसे ऊपर आपको जिस काम के लिए एफिडेविट करना है उसका शीर्षक लिखना होता है।
मान लीजिये आप को आपकी मैरिज सर्टिफिकेट बनवानी है, तो आपको लिखना पड़ेगा की एफिडेविट फॉर मैरिज सर्टिफिकेट(Affidavit for marriage certificate) या मैरिज सर्टिफिकेट एफिडेविट(Marriage certificate affidavit)।
2: उसके बाद आपको उस एफिडेविट में अपना नाम, पता और अपनी आयु लिखनी होती है। उसके ठीक निचे आपको अपनी बीवी का नाम, पता और अपनी आयु लिखनी होती है।
3: इसके बाद के पराग्राफ में आपको उस एफिडेविट के अंदर उसे बनवाने का उद्देश्य लिखना होता है।
यानी आप एफिडेविट क्यों बनवाना चाहते हैं? या क्यों बनवा रहे हैं? इसका ब्योरा देना होता है।
मान लीजिये की आपको मैरिज सर्टिफिकेट बनवानी है, तो आपको उसमे लिखना पड़ेगा की क्यों आप यह सर्टिफिकेट बनवाना चाहते है?
आप उसमे लिख सकते है कि आपको घूमने के लिए साथ-साथ मिल कर परदेस जाना है। और इसके लिए आपको मैरिज सर्टिफिकेट की बनवाना है ताकि पासपोर्ट और वीसा बनवाने में तकलीफ ना हो।
आप यह भी लिख सकते है कि आपको फ्यूचर के उत्तराधिकारी के लिए अपनी वाइफ को नॉमिनी बनवाना है।
और तब कोई भी प्रॉब्लम ना आये इस लिए मैरिज सर्टिफिकेट बनवा रहे है।
या कुछ डॉक्युमेंट्स बनवाने है। जैसे कि राशन कार्ड, गैस कार्ड, बैंक में जॉइंट अकाउंट जिसमे मैरिज सर्टिफिकेट का काम लग सकता है, जिसके लिए मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना ज़रूरी है।
वैसे भी मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना आपका अधिकार है जिससे आगे में आपको किसी भी लीगल या सिविल विषय में मदत मिल सकती है।
4: अगले पैराग्राफ में आप को सत्य-शपथ लिखनी होती है यानी आपको उसके अंदर लिखना होगा कि ऊपर बताई गई सारी बातें बिल्कुल सच है। और सच के अलावा इसमें कुछ भी नहीं लिखा गया है।
यदि इसमें लिखी गयी बातें सच नहीं निकली तो उसके लिए आप जिम्मेदार रहेंगे जो भी कारवाही होगी।
और फिर आपको जो भी सजा मिलेगी उसके लिए आप तैयार होंगे।
उसके बाद उसके नीचे अपने और अपनी वाइफ के आपको हस्ताक्षर करने होते हैं।
5: आख़िर में फिर आपको अपने एफिडेविट को रजिस्टर या अटेस्टेड करवाना होता है।
उसके लिए आप ओथ अधिकारी या नोटरी के पास जाकर एफिडेविट को अटेस्टेड करवा सकते हैं।
कैसे बनावाते हैं कोर्ट का एफिडेविट:
कोर्ट का एफिडेविट भी साधारण एफिडेविट की तरह ही होता है। इसमें कुछ ज़्यादा अलग नहीं होता है।
बस इसमें उस कोर्ट या अदालत का नाम लिखा होता है, जिसमें एफिडेविट को जमा करना होता है।
और याद रखिये की इस एफिडेविट में आप वही बातें लिखनी होती है जो आपको कोर्ट के अंदर बोलनी है।
जो कि किसी केस के अंदर गवाही या किसी दूसरी विषय पर कही जाने वाली बातें होती हैं।
यह इसलिए लिया जाता है कि प्रायः देखा जाता है कि गवाह उनकी पेशी के वक्त अपने दिए हुए बयान से मुकर जाते है। जिससे कोर्ट में पक्ष को तकलीफ होती है।
कोर्ट एफिडेविट का सत्यापन कैसे करते है:
जिस एफिडेविट को कोर्ट में जमा करना होता है उसे सिर्फ़ ओथ अधिकारी से ही अटेस्टेड करवाया जा सकता हैं।
इसके अलावा जो एफिडेविट किसी सरकारी या गैर सरकारी ऑफिस में दिए जाते हैं वह आप सिर्फ़ नॉटरी से ही अटेस्टेड करवा सकते हैं।
कोर्ट एफिडेविट का स्टाम्प पेपर और फीस:
कोर्ट में जमा किये जाने वाले एफिडेविट के लिए आपको किसी भी तरह की फीस नहीं देनी होती है।
उसे सिर्फ़ ओथ अधिकारी से ही अटेस्टेड करवाना होता है ओथ अधिकारी को ही अटेस्टेड करवाने के पैसे देने होते हैं।
लेकिन इसके अलावा और जितने भी एफिडेविट होते हैं उनके लिए आपको सिर्फ़ एक स्टाम्प पेपर लेना होता है और उसी की फीस आपको देनी होती है। लगभग आपको स्टांप पेपर ₹10 से आगे की रकम में मिल जाता है।
वैसे बहुत सारे व्यावहारिक कारण होते है जिससे लोगों को affidavit बनवाना पड़ता है।
इसके लिए नोटरी पब्लिक या फिर ओथ कमिश्नर आदि के सामने शपथ ली जाती है। और बयान दिया जाता है, जिसे वह अधिकारी अटेस्टेड करता है।
वैसे ज्यादातर देखा गया है कि एफिडेविट का उपयोग कोर्ट-कचहरी या अर्द्धन्यायिक संस्थानो के काम में किया जाता है।
इसके अलावा किसी फॅमिली झगड़ा सुलझाने, जमीन से लेकर विवाद निपटारा, जन्म सर्टिफिकेट, शादी का रजिस्ट्रेशन आदि के लिए सम्बंधित अथॉरिटी के सामने एफिडेविट देना अनिवार्य होता है।
लेकिन एक बात का ख्याल रखना ज़रूरी है कि यदि एफिडेविट में दिया गया बयान ग़लत है या जानबूझकर ग़लत बयान दिया गया है तो उसमे किया गया दावा रद्द हो जाता है।
और यदि यह सिद्ध हो जाता है कि किसीने जानबूझकर झूठा बयान दिया है तो उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
ओथ एक्ट 1969 के तहत यह निर्धारित किया गया है कि जो भी बयान affidavit (शपथ-पत्र) में दिया गया है, वह सच है।
ऐसे दयँ में रखकर, आमतौर पर माना जाता है कि एफिडेविट में दी गयी जानकारी सही है क्योंकि उसमे उस व्यक्ति के दस्तखत किये गए होते है।
परन्तु कोई व्यक्ति धोखे से, किसी और के जगह पर ऐफिडेविट पर दस्तखत करता है और उसका ग़लत इस्तेमाल करता है, तो ऐसा करने वाले शख्स के खिलाफ IPC की धारा-419 के अनुसार “पहचान बदलकर धोखा देना” का मुकदमा बन सकता है।
इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति ग़लत शपथ-पत्र कोर्ट में पेश करता है, और उसे पहचान लिया जाता है तो कोर्ट ऐसे व्यक्ति के खिलाफ अदालत में झूठा सबूत / बयान पेश करने के मामले में मुकदमा चलाने का आदेश दे सकता है।
तो दोस्तों ये था आज का आर्टिकल जिसमे हमने जाना कि Affidavit क्या होता है और Affidavit का क्या महत्त्व होता है?
उम्मीद करता हू कि आज आपको एफिडेविट के बारे क़ाफी कुछ पता चल गया होगा।
अगर आपको इससे रिलेटेड कोई और जानकारी चाहिए तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।
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thanks for sharing. i am gladthat you sharedthis helpful info with us.