साइबर क्राइम क्या है और साइबर क्राइम से कैसे बचें?
आज जमाना ऑनलाइन का है। आज हमलोग सबसे ज्यादा मोबाइल का और उसके द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं । इस इंटरनेट और कम्प्यूटर के ज़माने में दुनिया एक दूसरे से जूड़ी हुई है, जिसने अपने साथ बहुत सारे लाभ लाया है पर उसके साथ ही जबरदस्त खतरे भी हैं।
आजकल बैंकिंग ट्रांसक्शन्स भी हम लोग ऑनलाइन करते है तो संभव है कि हम कभी न कभी इंटरनेट पर फैले अपराध के मकड़जाल का शिकार हो जाएं। लेकिन अगर हम पहले से ही कुछ सतर्कता अपना लेते हैं तो किसी बड़े नुकसान से बच सकते हैं।
साइबर क्राइम क्या है:
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आजकल सोशल मीडिया, व्हाट्सप्प , ईमेल मार्केटिंग, sms मार्केटिंग, और मोबाइल पॉसवर्ड हैकिंग के जरिए वायरस या ठगी अन्य तरह के अपराध के मामले ज्यादा बढ़ रहे हैं। ऐसे अपराधों को साइबर क्राइम कहा जाता है ।
इसमें कार्ड क्लोनिंग,ठगी , धमकी, धोखाधड़ी, छेड़छाड़ ,आपत्तिजन कंटेंट शेयरिंग या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के अपराध प्रमुख रूप आते हैं।
हालाँकि यह अपराध करने का नया तरीका है, इसलिए कलोगों का यह पता नहीं होता कि उनके साथ कुछ गलत हुआ है तो वह क्या करें? कहां जाएं और किससे शिकायत करें?
ऐसे में हो सकता है की सायबर अपराधी बच जाये ।
यहाँ हम आपको कुछ उपाय बता रहे है जिसे अपना कर आप सायबर क्राइम से या तो बच सकते है, या फिर अपना नुकसान कम-से-कम हो यह तय कर सकते है।
साइबर अपराध से बचने के उपाय:
कंप्यूटर में एंटीवायरस लगवाएं
आपको आपके निजी कंप्यूटर में १००% एंटी वायरस लगवाना जरुरी है क्योंकि ज्यादातर हैकिंग और डाटा चोरी की घटनाएं वायरस या मैलवेयर के जरिए अंजाम दी जाती हैं।
यूँ तो मोबाइल में अणि वायरस उतना प्रभावी नहीं है, ऐसे में एक अच्छा ब्रांड का मोबाइल रखिये ।
क्रेडिट कार्ड से निकासी (withdrawal) की सीमा रखें:
अगर आप क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर रहे है तो यह संभव है की कभी उस कार्ड की क्लोनिंग हो जाए अथवा क्रेडिट कार्ड चोरी हो। ऐसे में भी आप ज्यादा नुकसान से बच सकते हैं।
लेकिन आपको क्रेडिट कार्ड से शॉपिंग नगद निकासी की सीमा बहोत कम रखनी चाहिए जैसे- 10-20 हजार रुपए ।
इससे फायदा यह होगा कि चोरी या क्लोनिंग करने वाला कम से कम रकम निकाल पाएगा और आप बहुत बड़े नुकसान से बच जायेंगे।
किसी भी अनजान लिंक्स को क्लिक न करें:
वायरस और हैकिंग का सबसे आसान तरीका है, ऐसी लिंक्स भेजना , जिसे देखकर किसी को भी उसे क्लिक करने की इच्छा हो।
ऐसी लिंक्स से बचना चाहते हैं तो फेसबुक, वॉट्सएप और ईमेल से आने वाले अनचाहे लिंक्स पर कभीभी क्लिक न करें।
किसी भी अनजाने मैसेज को बिना वेरीफाई करे क्लिक न करे और अगर कुछ गड़बड़ लगती है तो उसे ब्लॉक कर दीजिये। कभी भी अपनी डिटेल्स शेयर न करे।
समय – समय पर पासवर्ड बदलते रहें:
आपको अगर हमेशा अपने अकाउंट को सेफ रखना है तो अपने डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड या सोशल मीडिया अकाउंट के पासवर्ड को समय-समय पर बदलते रहें।
कई बार अनजाने में हम बिना लॉक किए बिना ही फोन को जेब में रख लेते हैं, जिससे फोन से काई मैसेस या कुछ दूसरे एक्शन होने का खतरा बना रहता है।
अपने पासवर्ड को कम-से-कम 8 से 10 अंकों का रखें और यह कोशिश करें कि पासवर्ड कभी भी आसान न हो, जैसे की कोई नाम या डेट ऑफ बर्थ या मोबाइल नंबर।
ऑनलाइन बैंकिंग का उपयोग सार्वजनिक स्थान पर कभी भी न करे:
हमेशा ध्यान रखिये की अपने इंटरनेट की बैंकिंग और बैंकिंग लेन-देन का इस्तेमाल कभी भी सार्वजनिक स्थान जैसे कि साइबर कैफे, ऑफिस, पार्क, सार्वजनिक मीटिंग और किसी भीड़-भाड़ी वाले स्थान पर न करें।
किसी भी प्रकार के बैंकिंग लेन-देन के लिए आप अपने पर्सनल कम्प्यूटर या लैपटॉप का ही इस्तेमाल करें।
लॉगआउट करना कभी भी न भूले:
यह सबसे जरुरी है की अपने अकाउंट की सुरक्षा करना आपको ही करने की आदत डालनी होगी। क्योंकि नुकसान आपका ही होगा अगर आप सतर्क नहीं रहते।
जब कभी भी आप अपने इंटरनेट बैंकिंग या किसी भी जरुरी अकाउंट में लॉगिन करें, तो काम खत्म कर अपने अकाउंट को लॉगआउट करना न भूलें।
और जब आप लॉगिन कर रहें, हो तब इस बात पर जरूर ध्यान दें कि पासवर्ड टाइप करने के बाद कम्प्यूटर द्वारा पूछे जा रहे ऑप्शन रिमेब्बर पासवर्ड या कीप लॉगिन में कभी भी क्लिक न करें।
इससे यह होता है की आपने अगर कभी सार्वजनिक स्थान पर लॉगिन भी किया तो अपनी अच्छी आदत से आप बच जायेंगे। मान लीजिये, अगर आपका कंप्यूटर चोरी भी होता है तो हैकर्स को आपका पासवर्ड डिटेल नहीं मिलेगा।
झूठी या फेक वेबसाइट से बचे:
आजकल फेक वेबसाइट का चलन काफी बढ़ गया है।
लोगों को धोखा देने के लिए और अपनी चंगुल में फसाने के लिए अधिकतर स्कैमर्स(घोटाले बाज) फेक साइट को प्रयोग मे ला रहे हैं, जिससे की लोगों को पता भी न चले और उनका काम भी आसानी से हो जाए।
आइये जानते हैं आखिर फेक साइट होती क्या है? फेक साइट के नाम से ही प्रतीत हो जाता है कि यह एक झूठी वेबसाइट है, जो हु-ब- हु आपके बैंक के वेबसाइट जैसी ही होती है।
इसमें खरीदारी करने वाली साइट या पेमेंट गेटवे के जैसा ही इंटरफेस होता है।
ऑनलाइन ख़रीदारी या कोई भी ऑनलाइन लेन-देन करने के लिए जैसे ही आप यहां अपने क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग का यूजर नेम, लॉगिन पासवर्ड ट्रांजिक्सन पासवर्ड या ओटीपी एंटर करते हैं, तो वो इस डिटेल्स को कॉपी कर लेता है।
और बाद में इसका प्रयोग कोई भी गलत तरीके से गलत कार्यों के लिए कर सकता है, जिसको आप और हम समझ नहीं पाते हैं कि यह गलत ट्रांज्किशन कैसे हो गया?
फेक वेबसाइट का संचालन एक संगठित ग्रुप के क्रिमिनल्स के द्वारा किया जाता है।
फिर ऐसी फेक साइट से कैसे बचा जाये? आप वही वेबसाइट का नाम डाले, जो ऑथिन्टिक है।
जैसे की अगर स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के वेबसाइट का एड्रेस मान लीजिये की www.sbi.co.in है।
ओर आपके सर्च इंजिन मे उससे मिलती- जुलती वेबसाईट www.sbi.com है तो चेक किजीये की कोनसी साईट ओरीजनल है।
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