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Election manifesto (चुनाव घोषणा पत्र) क्या होता है?

Election manifesto (चुनाव घोषणा पत्र) क्या होता है?

भारत एक गणतांत्रिक देश है, जिसमे देश या राज्य चलाने के लिए उम्मीदवार खड़े रहते है और उन्ही उम्मीदवारों मे से किसी एक को चुना जाता है। Election manifesto (चुनाव घोषणा पत्र) क्या होता है? आइये जानते हैं –

प्रायः यह देखा गया है कि ज्यादातर उम्मीद्वारोंको चुनाव में किसी-ना-किसी पार्टी के तरफ से टिकट दिया जाता है और इससे उनके चुने जाने की सम्भावना बढ़ जाती है।

हमारे देश में बहोत सारी पार्टियाँ है। जिनकी संख्या हजारों में है। भारत निर्वाचन आयोग के लेटेस्ट प्रकाशन के अनुसार, पंजीकृत पार्टियों की कुल संख्या 2599 है, जिसमें 8 राष्ट्रीय दल, 53 राज्य दल और 2538 गैर-मान्यता प्राप्त दल है।

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चुनाव लड़ने वाले सभी पंजीकृत दलों को चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध प्रतीकों की एक सूची से एक प्रतीक चुनने की आवश्यकता है।

सामान्यतः जो बड़ी राष्ट्रीय या क्षेत्रीय दल है, वह चुनाव के समय अपने-अपने मेनिफेस्टो या घोषणापत्र जनता के सामने पेश करते है।

हर पार्टी की अपनी एक अलग विचारधारा होती है और वह पार्टी अपने तरीके से उस क्षेत्र का विकास करना चाहती है।

इसलिए मतदारों के सामने वह पार्टी अपने-अपने घोषणा पत्र पेश करती है, जिससे लोगोंको यह पता चल सके की यदि उन्होंने उस पार्टी को चुनाव में जिताया तो वह उस घोषणा पत्र में दिए हुए वादे पूरा-पूरा करेगी।

वैसे भी चुनावों का दौर शुरू हो चूका है। अभी दिल्ली में चुनाव हो रहे है और अगले साल उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले है।

ऐसे में सभी बड़ी पार्टियाँ जैसे भाजपा, कांग्रेस, बसपा, सपा आदि खुद के प्रत्याशी के चयन के साथ ही मतदारोंको लुभाने के लिए मुद्दों की तलाश में जुट गयी है। ताकि, उन मुद्दोंका आधार लेकर वह पार्टी अपना-अपना घोषणापत्र तैयार कर सके।

घोषणापत्र आखिर क्या है?

अपने सिध्दांतों, इरादों एवं नीतियों को सार्वजनिक रूप से लिखित में प्रकट करना” घोषणापत्र कहलाता है। किसी भी चुनाव में जाने के पहले, सभी बड़ी राजनितिक पार्टियों के द्वारा यह लिखित घोषणापत्र जारी किया जाता है।

इस डॉक्यूमेंट को “विज़न डॉक्यूमेंट” भी कहा जाता है। यह पार्टियों की आगे की राजनितिक दिशा और दशा को भी तय करता है।

इसमें यह दर्शाया जाता है कि यदि वह चुनाव में जीत गए तो वे निति-नियमों में किस तरह का परिवर्तन करेंगे या उसको कैसे एक नयी दिशा देंगे।

इस डॉक्यूमेंट के आधार से कोई भी पार्टी या एक अपक्ष उम्मीदवार भी मतदारोंको लुभाकर उनसे वोट मांग सकते है और एक डॉक्यूमेंट को ही आधार मानकर मतदार उन पार्टियोंके उम्मीदवार को वोट देकर उसे चुनते है।

यह एक तरह से एक पोलिटिकल डॉक्यूमेंट है जो उम्मीदवार और उसकी पार्टी को जनता और जनता को उम्मीदवार और उसकी पार्टी के प्रति उत्तरदायी बनाता है।

कैसे बनाते है घोषणापत्र?

घोषणापत्र एकप्रकार से किसी भी पार्टी की विचारधारा को दर्शाता है; साथ में ये भी यह भी दर्शाता है कि उनके उद्देश्य और विज़न क्या है और उससे मतदारोंको भविष्य में क्या फायदा होगा।

साथ में यह भी साफ होता है कि सत्ता में आने के बाद उस पार्टी की प्राथमिकताएँ क्या-क्या होंगी और वे उसे किस प्रकार से कार्यान्वित करेंगे।

कोई भी घोषणापत्र तैयार करने की विधि सीधे पार्टी की विचारधारा से मेल कहती है। घोषणापत्र तैयार करने का आमतौर पर सभी पार्टियों का तरीका समान ही होता है।

यह पार्टिया चुनाव के 5-6 महीने पहले उनके कार्यकर्ताओंको सामान्य लोगों के बिच में भेजती है।

यह कार्यकर्ता सब विषयोंके बारे में लोगोंसे अलग-अलग प्लेटफार्म पर राय इकट्ठा करते है और लोगों के फीडबैक इकट्ठा कर अपने-अपने सुझावोंको तैयार करते है।

फिर सब लोगों की एक खास दिन पर, एक जगह पर मीटिंग करते तय की जाती है।

उस मीटिंग में इन कार्यकर्ताओं के सुझावों को इकट्ठा किया जाता है और अच्छी-खासी ब्रेन-स्ट्रॉमिंग की जाती है।

बाद में इन सुझावोंको, कुछ लोगों की एक कमिटी को बनाकर पढ़ा जाता है।

जिसके आधार पर घोषणापत्र की फाइनल ड्राफ्टिंग की जाती है। इसमें पार्टी की विचारधारा की मिक्सिंग की जाती है।

कुछ रणनीति तय की जाती है और आखरी में पूरा घोषणापत्र तैयार कर उसे जनता के सामने पेश किया जाता है।

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