किसान क्रेडिट कार्ड योजना
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किसान क्रेडिट कार्ड योजना का इतिहास:
किसान क्रेडिट कार्ड NDA सरकार द्वारा 1998 में शुरू की गयी एक नायाब योजना है जो केवल किसानों के हितों को समर्पित है। इस योजना को 1998-99 में तत्कालीन वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट सत्र में पेश किया था। इस योजना को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ने समर्थन दिया। भारत में किसान क्रेडिट कार्ड की शुरुवात भी इन्हीं व्यावसायिक संस्थानों द्वारा की गयी।
उद्देश्य:
इस योजना का उद्देश्य ये है की, भारतीय किसानों के खेतों में रोपण और कटाई के समय पड़ने वाले अल्पकालिक ऋण की आवश्यकता को समय पर और बिना किसी अवरोध के पूरा किया जा सके. इस योजना का एक अप्रत्यक्ष उद्देश्य यह भी है कि किसानों को लालची और अनौपचारिक रूप से ऋण उपलब्ध कराने वाले लोगों जैसे साहूकारों से बचाया जा सके.
क्या है किसान क्रेडिट कार्ड?
किसान क्रेडिट कार्ड एक ऐसा कार्ड है जो की सरकार, किसानों को, इस उद्देश्य से देती है कि वह इसका प्रयोग अपनी खेती सम्बंधित ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कर सकें। इसकी मदद से वह ना केवल खेती से सम्बंधित चीज़ों की खरीद कर सकते हैं बल्कि खेती से जुड़े खर्चों के लिए पैसा निकाल भी सकते हैं। ये बैंक के अन्य क्रेडिट कार्ड की तरह ही काम करता है। हालांकि इसको प्रयोग करने के नियम कुछ अलग हैं।
किसान क्रेडिट कार्ड कैसे काम करता है?
किसान क्रेडिट कार्ड बहुत ही आसान नियमों पर आधारित है और इसका संचालन भी उतना ही आसान है। किसान की जोती गयी भूमि और उससे प्राप्त होने वाली आय के आधार पर बैंक किसान क्रेडिट कार्ड हर किसान को जारी करते है। इस क्रेडिट कार्ड को प्राप्त करने के लिए यह ज़रूरी है कि किसान का ऋण सम्बंधित इतिहास अच्छा हो। कहने का मतलब यह है कि अगर किसान का पुराना रिकॉर्ड ये बताता है कि किसान ने हमेशा समय पर अपने ऋण का भुगतान किया है, तो उसे आसानी से किसान क्रेडिट कार्ड मिल जाता है। जिसका उपयोग वह कृषि सम्बंधित ज़रूरतों को पूरा करने के लिए कर सकता है।
किसान क्रेडिट कार्ड के साथ किसानों को पासबुक की सुविधा भी मिलती है। इस पासबुक में उसका नाम, उसकी जोती गयी भूमि की जानकारी, ऋण सीमा, पता, क्रेडिट कार्ड की वैध अवधि आदि स्पष्ट रूप से लिखे होते हैं जो की किसान के लिए एक विशिष्ट पहचान पात्र की तरह काम करते है। ये पासबुक उन्हें अपने द्वारा किये गए खर्चों का ब्यौरा रखने में भी मदद करती है। सरकार हमेशा इस बाद की हिदायत देती है कि किसान जहाँ कहीं भी खेती सम्बंधित खरीदी करने जाए, वह अपने साथ क्रेडिट कार्ड और पासबुक ले जाए. इससे खरीदी करने में बहुत आसानी होती है।
किसान किस प्रकार किसान क्रेडिट कार्ड का प्रयोग कर सकते हैं?
किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत किसान अपने ऋण की राशी को नकद के रूप में निकाल सकता है। इसके लिए किसानों को विदड्रावल स्लिप (withdrawal slip) और किसान क्रेडिट कार्ड एवं पासबुक का इस्तेमाल करना होता है। जिन किसानों की ऋण सीमा 25, 000 रुपये से ऊपर होती है, वह चेक-बुक (cheque book) भी प्राप्त कर सकते हैं और जहाँ आवश्यकता हो उसका प्रयोग कर सकते हैं।
किसान क्रेडिट कार्ड कि क्या-क्या विशेषताएँ हैं?
अब आप किसान क्रेडिट कार्ड के बारे में तो समझ ही गए होंगे। अब जानते है इसकी विशेषताओं के बारे में:
- किसान क्रेडिट कार्ड किसानों की कृषि और उससे सम्बंधित कुछ अन्य ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, सरकार द्वारा वितरित किया जाता है।
- किसान क्रेडिट कार्ड किसानों को फसल उत्पादन और उससे जुडी अन्य आकस्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सहायक ऋण प्रदान करता है। यह ऋण उन्हें स्थानीय ग्रामीण बैंक, सार्वजनिक बैंकों और सहकारी बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है।
- किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को बीमा योजना का लाभ भी मिलता है।
- राष्ट्रीय फसल बीमा योजना का लाभ भी किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को ही मिलता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की राष्ट्रीय फसल बीमा योजना फसल के लिए, लिए गए ऋण के प्रति सुरक्षा के लिए बीमा प्रदान करता है। यह बीमा उन्हें केसीसी (KCC) के तहत दिया जाता है।
- अगर किसी किसान के पास किसान क्रेडिट कार्ड है, तो यह कार्ड उन्हें, कीटों के हमलों तथा प्राक्रतिक आपदाओं आदि से होने वाले नुकसान के प्रति भी सुरक्षा प्रदान करता है।
- कुछ मामलों में तो संपार्श्विक सुरक्षा भी प्रदान करता है।
- अगर ऋण की राशि एक लाख रूपये के ऊपर होती है तो किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को अपनी भूमि गिरवी रखनी होती है तथा उस पर उगाई गयी फसलों का हाईपोथीकेशन भी करना होता है।
- किसान क्रेडिट कार्ड को प्राप्त करने के लिए बहुत ही साधारण दस्तावेजों की ज़रुरत होती है और इसकी स्क्रीनिंग प्रक्रिया भी बहुत ही सरल होती है, इसलिए किसानों को इसके द्वारा बहुत ही त्वरित गति से ऋण मिल जाता है।
- क्रेडिट कार्ड को अब किसान के बचत खाते से जोड़ दिया गया है, इससे किसानों को एक ही खाता रखने में आसानी होती है तथा उसमें जमा उधार राशि पर उसको ब्याज भी मिलता रहता है।
- कटाई के बाद उधार चुकाने के लिए आसान किश्तों का प्रावधान भी किया गया है तथा ये प्रक्रिया बहुत लचीली भी है। इससे किसान अपने अनुरूप ऋण का भुगतान कर सकता है।
- इसमें ऋण सीमा भूमि जोत, ऋण इतिहास और आय पर आधारित होती है, इसलिए ये दोनों ही पक्षों के लिए काफी सुरक्षित होता है। ये ही कारण है कि ये बहुस्तरीय क्रेडिट मूल्यांकन प्रक्रिया को बहुत सरल बना देती है।
किसान क्रेडिट कार्ड को प्राप्त करने के लिए योग्यता :
- कोई भी किसान या संयुक्त कर्ज़दार जो की कृषि भूमि या जोत का मालिक है।
- साथ में मिल कर फसल उगाने वाले कृषक, किराए पर फसल उगाने वाले किसान या मौखिक पट्टेदार।
- कृषकों के संयुक्त देयता समूह या एसअचजी।
ऋण की पुनर्भुगतान अवधि:
KCC द्वारा लिए गए ऋण के पुनर्भुगतान के लिए कोई सुनिश्चित अवधि निर्धारित नहीं है। पुनर्भुगतान अवधि का निर्धारण, प्रत्याशित फसल कटाई और फसलों के बाज़ार में विपणन और बिकने पर निर्भर करता है। हालांकि, इन सब परिस्थितियों का आकलन ऋण देने से पहले ही कर लिया जाता है और एक अवधि भी निश्चित कर दी जाती है। पर फिर भी ये अवधि क़ानूनी रूप से स्थायी नहीं है, इसे परिस्थिति अनुरूप बदला जा सकता है।
एक निश्चित अवधि ऋण का करीबन पाँच साल की सीमा में पुनर्भुगतान करना होता है और यह आप की गतिविधि / निवेश पर निर्भर करता है। व्यावसायिक बैंक अपने स्वयं निर्णय के आधार पर भी किसान के पुनर्भुगतान की समय-सीमा को बढ़ा सकते हैं।
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