बैंक PO कौन होते है और उसके लिए तैयारी कैसे करें?
बैंक PO में PO की फुल-फॉर्म है प्रोबेशनरी ऑफिसर। जब भी किसी राष्ट्रीय या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वरिष्ठ प्रबंधन के लिए लोगों की भर्ती करनी होती है तो वह उसे PO रिसोरसिंग (PO परीक्षा) के द्वारा ही चयनित करते हैं।
प्रोबेशन का अर्थ होता है प्रशिक्षण। किसी भी चयनित PO को दो साल का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस प्रशिक्षण के दौरान PO को एक डेस्क पर या विभिन्न डेस्क पर और अलग-अलग स्थानों पर प्रशिक्षण दिया जाता है। PO बैंक में स्केल-1 अधिकारी के नाम से जाने जाते हैं, साथ ही साथ उन्हें असिस्टेंट मैनेजर के रूप में भी जाना जाता है।
दो साल के कुशल प्रशिक्षण के बाद ही PO की नौकरी पक्की होती है। PO की नौकरी भारत में सबसे अधिक प्रतिष्ठित नौकरियों में से एक है। भारत में अधिकतर बैंकों में भर्ती एक स्वायत्त संस्थान IBPS (Institute of Banking Personal Selection) के द्वारा की जाती है और ये संस्थान ही पूरे भारत में PO की परीक्षा का प्रबंधन करती है। हर साल भारत में 4000 से भी अधिक PO की भर्तियाँ होती हैं जिसमें 20 से भी अधिक सार्वजनिक बैंक अपनी भागीदारी देते हैं।
IBPS PO की सैलरी:
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क्या आप जानना चाहेंगे की आखिर एक बैंक PO की सैलरी कितनी होती है? आइये हम आपको बताते हैं। प्रमुख रूप से एक PO की तनख्वाह होती है: 23700 रूपये। ये तो है PO का मूल वेतन, जो की किसी भी PO को जब वह बैंक जॉइन करता है तब मिलता ही है। इसके साथ ही उसे अन्य कईं प्रकार के भत्ते भी मिलते हैं। उसके बाद 7 साल तक उसके वेतन में प्रति वर्ष 980 रूपये जुड़ते जाते हैं। इसका मतलब है कि सात साल बाद उसका मूल वेतन होता है 30, 560 रुपये।
उसके बाद दो साल तक प्रति वर्ष 1145 रुपये प्रति वर्ष उसकी मूल वेतन में जुड़ते हैं। नौ साल के अंत तक उसका मूल वेतन हो जाता है: 32, 850 रुपये। फिर अगले सात सालों के लिए प्रति वर्ष उसके मूल वेतन में 1310 रुपये और जोड़ दिए जाते हैं। अतः नौकरी के 16वें साल के अंत तक PO का मूल वेतन होता है: 42, 020 रुपये।
इस वेतन गणित को इस प्रकार से भी समझ सकते हैं:
23700- (980×7) -30560- (1145×2) -32850- (1310×7) -42020
नोट: अगर हम IBPS PO को दिए जाने वाले अन्य भत्तों जैसे DA, HRA, CCA, स्पेशल अलाउंस आदि को मिला लें तो ibps PO को पहले महीने से ही करीबन 35, 700 से 36, 570 रूपये तक की सैलरी मिल जाती हैं।
IBPS PO का प्रमोशन :
IBPS PO का प्रमोशन उनकी प्रदर्शन और क्षमता पर निर्धारित होती है। अगर आपका प्रदर्शन काबिले तारीफ़ है और आप अपनी कार्य क्षमता का भी उचित परिचय दे चुकें है तो आप महज़ 14 साल में ही महा-प्रबंधक के पद तक प्रमोशन हो सकते हैं। IBPS PO में प्रमोशन ना केवल आपको भारत के विभिन्न भागों में ले जा सकती है, बल्कि आप विदेश भी जा सकते हैं जहाँ आपकी बैंक की अन्य शाखाएँ हैं।
IBPS PO की तैयारी कैसे करें?
अब अगर आप IBPS PO के बारे में इतना जानने के बाद इसकी तैयारी के लिए मन बना चुके है, तो अब आप ये जानना चाहते होंगे की आखिर IBPS PO की तैयारी कैसे करें? इसमें चयनित होने का सबसे अच्छा तरीका कौन-सा है?
चलिए हम आपकी इस क्षेत्र में मदद करने की कोशिश करते हैं। देखिये, बैंक PO परीक्षा का एक निश्चित तरीके से प्रबंधन किया जाता है और इसकी परीक्षा का एक निश्चित तरीका है। इसलिए सबसे पहले ये जानना ज़रूरी है कि आखिर इस परीक्षा का पैटर्न क्या है?
IBPS परीक्षा पैटर्न:
दरअसल ये परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जाती है: (a) प्रारम्भिक परीक्षा और (b) मुख्य परीक्षा।
अगर कोई व्यक्ति दोनों ही चरणों में उत्तीर्ण हो जाता है तो उसे इंटरव्यू के लिए चयनकर्ताओं के सामने उपस्थित होना होता है।
(i) प्रारम्भिक परीक्षा का पैटर्न:
अधिकतर सभी बैंकों में, प्रारम्भिक (Prelims) परीक्षा का पैटर्न तो एक-सा होता है। इसमें परीक्षार्थी का आकलन तीन पहलूओं के आधार पर किया जाता है:
(a) अंग्रेज़ी भाषा–30 अंक
(b) रीजनिंग एबिलिटी (तर्क क्षमता) –35 अंक
(c) क्वांटिटेटिव एपटीट्यूड (संख्यात्मक अभियोग्यता) –35 अंक
यह पूरी परीक्षा 1 घंटे की होती है। अगर कोई इस परीक्षा में उत्तीर्ण हो जाता है तो फिर उसे मुख्य परीक्षा देनी होती है।
(ii) मुख्य परीक्षा का पैटर्न:
मुख्य परीक्षा के प्रमुख विषय होते हैं:
(a) अंग्रेज़ी भाषा
(b) रीजनिंग एबिलिटी और कंप्यूटर एपटीट्यूड (तर्क क्षमता और कंप्यूटर अभियोग्यता)
(c) क्वांटिटेटिव एपटीट्यूड (संख्यात्मक अभियोग्यता)
(d) जनरल अवेयरनेस (सामान्य जागरूकता) –बैंक से सम्बंधित भी
(e) कंप्यूटर ज्ञान (मुख्यतया RRB परीक्षा में सम्मिलित किया जाता है)
मुख्य परीक्षा की अवधि 2 से 2.5 घंटे की होती है और यह पूरे 200 अंकों की होती है। परीक्षा के सभी विषयों को बराबर अंकों में बांटा गया है, इसलिए हर भाग की अच्छे से तैयारी करनी होती है। हम ऐसा नहीं कर सकते की कोई विषय तो अच्छे से तैयार कर लिया और कोई विषय छोड़ दिया।
नोट: परीक्षा में ‘नेगेटिव’ मार्किंग का भी प्रावधान है। हर ग़लत उत्तर के लिए पूरे अंकों में से प्रत्येक ग़लत उत्तर के लिए 0.25 अंक काट लिए जाते हैं। इसलिए यह ज़रूरी है कि अगर आप को सही उत्तर पता हो तो ही उसे अंकित करें।
परीक्षा पैटर्न जानने के बाद क्या?
जब हम को पता है कि परीक्षा का क्या पैटर्न है तथा कौन से विषय सम्मिलित किये गए है, तो अब हम को सिर्फ़ ये निश्चित करना होगा की हम परीक्षा की तैयारी स्वयं घर पर करेंगे या किसी कोचिंग इंस्टिट्यूट जा कर करेंगे।
इंस्टिट्यूट के भरोसे तैयारी करने का फायदा ये है कि इंस्टिट्यूट आप को अध्ययन सामग्री आसानी से उपलब्ध करा देते हैं और आपको इसे ढूँढने के लिए ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। पर अगर आप स्वयं ही अध्ययन सामग्री का जुगाड़ करते हैं तो आप को काफी संभल कर इसका चुनाव करना होता है।
वैसे आजकल इंटरनेट पर IBPS PO की तैयारी के लिए कौन-सी किताबें सर्वश्रेष्ठ है, इस विषय में आसानी से जानकारी उपलब्ध हो जाती है। आप भले ही खुद तैयारी करें या किसी इंस्टिट्यूट के द्वारा, एक बात हमेशा याद रखें की ये विषय दिखते आसान हैं पर होते नहीं। आप को इन विषयों से जुड़े प्रश्नों का त्वरित गति से उत्तर देना होता है। इसलिए इसकी तैयारी परीक्षा से तीन-चार महीने पहले ही कर देनी चाहिए।
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