केंद्रशासित प्रदेश क्या है, ये और राज्यों से कैसे अलग होते है?
भारत ने स्वतंत्रता के बाद संघीय प्रणाली को स्वीकार किया है, जिसके तहत हमारे देश में एक केंद्र सरकार होती है जो सबसे शक्तिशाली होती है।
केंद्रशासित प्रदेश क्या है ?
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हमारे देश को भाषा के आधार पर, अलग-अलग राज्यों में विभाजित किया गया है।
उन राज्यों की अपनी-अपनी स्वसंचालित, स्वशासित सरकार होती है। लेकिन इन सरकारों का अधिकार क्षेत्र उनके राज्य तक ही सिमित होता है।
इसके अलावा, कुछ क्षेत्र ऐसे है, जिनपर सीधे तौर पर केंद्र का शासन होता है, उन प्रदेशों को केंद्रशासित प्रदेश कहते है।
केंद्रशासित प्रदेश संघक्षेत्र भारत के संघीय प्रशासनिक ढाँचे की एक उप-राष्ट्रीय प्रशासनिक इकाई है।
जहा भारत के अन्य राज्यों की उनकी चुनी हुई सरकारें होती हैं, लेकिन केन्द्र शासित प्रदेशों में सीधे-सीधे भारत सरकार का शासन होता है।
भारत का राष्ट्रपति हर केन्द्र शासित प्रदेश का एक सरकारी प्रशासक या उप राज्यपाल नामित करता है, जो सीधे राष्ट्रपति को ही रिपोर्ट करता है।
जब भारत के राष्ट्रपति ने 5 अगस्त 2019 को संसद के प्रस्ताव पर, आर्टिकल 370 को ख़त्म करने का निर्णय लिया तब भारत के राज्यों की संख्या 29 से घटकर 28 हो गयी और केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या 7 से बढ़कर 9 हो गयी। यह बदलाव 31 अक्टूबर 2019 से लागू हो गया।
यह इसीलिए हुआ क्योंकि लद्दाख क्षेत्र को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को 2 केंद्रशासित क्षेत्र में बांटा गया।
पर भविष्य में जम्मू-कश्मीर को उनके पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जायेगा यह केंद्र सरकार ने कहा है।
भारत में वर्तमान में निम्नलिखित केन्द्र शासित क्षेत्र हैं:-
- दिल्ली-यह भारत का राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश भी है।
- अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह
- दादरा और नगर हवेली
- चण्डीगढ़
- दमन और दीऊ
- पुदुचेरी
- लक्षद्वीप
- लद्दाख़-5 अगस्त 2019 को घोषित और 31 अक्टूबर 2019 से प्रभाव मे.
- जम्मू और कश्मीर-5 अगस्त 2019 को घोषित और 31 अक्टूबर 2019 से प्रभाव मे.
क्यों पड़ी Union Territories या केंद्रशासित प्रदेश बनाने की ज़रूरत ?
जैसे की देखा गया है कि राज्य सरकार और केंद्रशासित प्रदेशों में बहोत सारे फर्क है। जब अपना देश स्वतंत्र हुआ था तब यह प्रदेश या तो भारत के भाग नहीं थे या तो वे इतने छोटे थे की उन्हें एक सम्पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जा सके।
इनमे दूसरे देशो का (अंग्रेजों को छोड़कर) शासन बहोत साल तक होने से उनके रहन-सहन, संस्कृति, भाषा उनके आस पास के राज्यों से अलग थी। ये डर था की ये लोग भारत की संस्कृती से कैसे समरस होंगे।
इसलिए इन सब चीजों का अध्धयन करने के लिए एक मंडल का निर्माण किया गया-जिसका नाम था “The States Re-organization Commission”।
इस कमीशन ने 1956 में इन प्रदेशों के लिए एक अलग श्रेणी बनाने की सिफारिश की। जिसके तहत यह प्रदेश केंद्र के सीधे अधिकार-क्षेत्र में आएंगे और इन प्रदेशों के लिए केंद्र की पालिसी ही मान्य होगी। इन प्रदेशों को केंद्रशासित प्रदेश कहा गया है।
उस समय यह महसूस किया गया की ये क्षेत्र आर्थिक रूप से असंतुलित, आर्थिक रूप से कमजोर, प्रशासनिक और राजनीतिक रूप से अस्थिर थे।
इसलिए, वे अलग प्रशासनिक इकाइयों के रूप में जीवित रहने में सक्षम नहीं है। इसके लिए ज़रूरी है कि वह केंद्र सरकार पर निर्भर हो।
इस प्रकार से ऐसी सोच से केंद्रशासित प्रदेशों का निर्माण किया गया।
इसलिए, भारत सरकार और केंद्र शासित प्रदेश भारतीय गणराज्य के skeletal structure का एक हिस्सा बन गए. केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनिक नियम केंद्र सरकार के अधीन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के केंद्र के रूप में प्रत्यक्ष होते है।
निश्चित रूप से, केंद्र शासित प्रदेशों को भारतीय राष्ट्रपति के द्वारा शासित किया जाता है। भारतीय राष्ट्रपति द्वारा लेफ्टिनेंट गवर्नर को विशेष रूप से केंद्र शासित प्रदेश के लिए प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया जाता है।
केंद्र शासित प्रदेशों के सभी प्रशासकों की एक स्वतंत्र जिम्मेदारी है और वे अन्य क्षेत्रों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
एक अच्छे प्रशासन की दृष्टी से इन प्रदेशों को (यूनियन टेरिटरीज) छोटे-छोटे प्रशासनिक ब्लॉक्स में बांटा गया है और इसकी सबसे छोटी प्रशासकीय इकाई है, गाँव।
गांवों में एक प्रतिनिधि प्रशासनिक ग्राम पंचायत है। गांवों का प्रशासनिक नियंत्रण ग्राम पंचायत के हाथों में होता है।
विधानसभा क्षेत्र के साथ केंद्र शासित प्रदेश की संरचना:
भारतीय संविधान के अनुसार, कुल 2 केंद्र शासित प्रदेशों में-दिल्ली और पुडुचेरी को विधानसभा क्षेत्र दिया गया था। इन क्षेत्रों में निर्वाचित सदस्यों के साथ एक विधान सभा हो सकती है।
भारतीय संविधान का आर्टिकल 240 (2) भातीय राष्ट्रपति को इन केंद्रशासित प्रदेशो के मामलों में सबसे ज़्यादा अधिकार प्रदान करता है।
जम्मू-कश्मीर के केंद्रशासित प्रदेश बनने के बाद वहाँ भी विधानसभा क्षेत्र दिया जाएगा।
इस प्रकार से वह दिल्ली और पुडुचेरी के बाद 3rd प्रदेश बन जाएगा जिसमे विधानसभा है।
इन विधानसभा क्षेत्र में विधायकों का चुनाव वहाँ के आम लोगों के द्वारा होता है और निर्वाचित पार्टियों मे से जिसकी या उसके गठबंधन की संख्या 50 प्रतिशत से ज़्यादा होती है, उसे सरकार बनाने के लिए बुलाया जाता है।
लेकिन उस सरकार के पास, दूसरे राज्यों की तरह, पूर्ण अधिकार नहीं होते बल्कि विशेष प्रावधान के तहत, उस क्षेत्र पर राज्य करने के लिए राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच शक्तियाँ वितरित की जाती हैं।
दिल्ली व पुदुचेरी दोनो की अपनी चयनित विधानसभा, मंत्रिमंडल व कार्यपालिका हैं, लेकिन उनकी शक्तियाँ सीमित हैं-उनके कुछ कानून भारत के राष्ट्रपति के “विचार और स्वीकृति” मिलने पर ही लागू हो सकते हैं।
लेकिन दिल्ली और पुदुचेरी, 9 केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसे 3 केंद्र शासित प्रदेश हैं जिसके पास अपना विधानसभा है और वहाँ के लोग अपने मुख्यमंत्री का चुनाव कर सकता है।
इन दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री की शक्तियाँ सीमित होती है।
यह क्षेत्र है :
- दिल्ली
- पुदुच्चेरी
- जम्मू-कश्मीर
यह भी याद रखने की बात है कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है। लेकिन दिल्ली संपूर्ण राज्य नहीं है।
जनसंख्या की दृष्टि से देंखे तो सबसे बड़ा केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली है जबकि सबसे छोटा लक्षद्वीप है। जबकि, क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा केंद्र शासित प्रदेश अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह है जबकि सबसे छोटा लक्षद्वीप है।
भारत के सात व केंद्र शासित प्रदेश में उप-राज्यपाल का पद नहीं होता हैं! जानते है कि किस केंद्र शासित में कौन-सा सबसे बड़ा अधिकारी पद होता है वह निम्नलिखित है।
- चंडीगढ़-चीफ कमिश्नर (मुख्य आयुक्त)
- अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, दिल्ली और पुडुचेरी-उप राज्यपाल
- दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, लक्ष्यदीप-मुख्य प्रशासक
केंद्रशासित प्रदेशों का गठन तथा उनके राजधानीयों के नाम:
- दिल्ली-1 नवम्बर 1966- जिसकी राजधानी है, नई दिल्ली।
- पुदुच्चेरी-1 नवम्बर 1956- जिसकी राजधानी है, पुदुच्चेरी।
- चंडीगढ़-1 नवम्बर 1966- जिसकी राजधानी है, चंडीगढ़।
- अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह-1 नवम्बर 1956- जिसकी राजधानी है, पोर्ट ब्लेयर।
- दादर और नागर हवेली-11 अगस्त 1961- जिसकी राजधानी है, सिलवासा।
- दमन और दीव-30 मई 1987- जिसकी राजधानी है, दमन।
- लक्षद्वीप-1 नवम्बर 1956- जिसकी राजधानी है, कवरत्ती ।
- जम्मू-कश्मीर-5 अगस्त 2019- जिसकी राजधानी है, श्रीनगर।
- लद्दाख-5 अगस्त 2019- अभीतक राजधानी का फैसला नही हुआ है।
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