Govt

भारतीय संविधान के 20 महत्वपूर्ण आर्टिकल्स

भारतीय संविधान के 20 महत्वपूर्ण आर्टिकल्स

15 अगस्त 1947 में भारत को अंग्रेजी शासन से मुक्ति मिली और उस दिन दे अपना देश एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित हुआ। आज का हमारा विषय भारतीय संविधान पर ही है और हम जानेंगे भारतीय संविधान के 20 महत्वपूर्ण आर्टिकल्स ।

हमारे देश ने संसदीय प्रणाली की सरकार को चुना। इसके अनुसार हमारा देश में  प्रभुसत्ता-सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्र गणराज्य की स्थापना की गयी है। और यह गणराज्य चलने के लिए “भारत के संविधान” का निर्माण किया गया, जिसकी अगुवाही डॉ बाबासाहेब आंबेडकर ने की।

भारत का संविधान बनाने में लगभग 3 साल लगे । यह संविधान, 26 नवम्बर 1949 को पारित हुआ तथा उसे  26 जनवरी 1950 से प्रभावी किया गया।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

भारत का संविधान की यह विशेषता है की या दुनिया का सबसे बडा लिखित संविधान है। जबसे यह लागु किया गया, तबसे 70 साल में इसमें समय के साथ बहोत सारे संशोधन किये गए है। उस वक़्त संविधान 395 अनुच्छेद (आर्टिकल्स), 8 अनुसूचियां, और ये 22 भागों में विभाजित था। अब संविधान में 448 अनुच्छेद(आर्टिकल्स), 12 अनुसूचियां हैं और ये 25 भागों में विभाजित है।

चलिए इनमें से 20 महत्वपूर्ण अनुच्छेद देखते है :

Table of Contents

अनुच्छेद 1 : यह घोषणा करता है कि भारत राज्यों का संघ है।

यह अनुच्छेद प्रमाणित करता है की प्रशासन की दृष्टी से भारत को विविध राज्यों में विभाजित किया गया है और उनकी सीमाएं तय की गयी है।

किसी भी राज्य को यह अधिकार नहीं है की की वह भारत से अलग हो सके। इसके अलावा  कुछ क्षेत्रों को केंद्रशासित प्रदेशों में शामिल किया गया है।

अनुच्छेद 3: संसद विधि द्वारा नए राज्य बना सकती है तथा अवस्थित राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं एवं नामों में परिवर्तन कर सकती है।

भारत में संसद सर्वोतोपारि है। यह नए कानून का निर्माण कर सकती है। इसके साथ-साथ अगर संसद को लगता है की नए राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों का निर्माण जरुरी है तो वह यह करने का हक़ रखती है।

जब कश्मीर से धरा ३७० हटाई गई तो उस राज्य को दो भंगो में बांटा गया, जोकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख है। लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया है और जम्मो०कश्मीर को फ़िलहाल केंद्र द्वारा संचालित किया जायेगा,लेकिन कुछ साल बाद राज्य का दर्जा दिया जायेगा।

अनुच्छेद 5: संविधान को चालू करने के समय, भारत में रहने वाले वे सभी व्यक्ति भारत के नागरिक कहलायेंगे, जिनका जन्म भारत में हुआ हो, और जिनके पिता या माता स्वतंत्रता के समय में भारत के नागरिक हों।

इसअनुच्छेद का महत्व अब इसलिए है क्योंकि CAA , CAB और NRC जैसे कानून को भारतीय संविधान ने प्रस्तुत किया है और जिसके विरोध- समर्थन में लोग बंट गए है। यह आर्टिकल अब प्रासंगिक बन गया है।

अनुच्छेद 74:  मंत्रीपारिषद- प्रधानमंत्री ओर राष्ट्रपती के सम्मिलित कार्य

एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसके अगुवाही प्रधानमंत्री करेगा, जिसकी सहायता एवं सुझाव के आधार पर राष्ट्रपति अपने कार्य संपन्न करेगा।

राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद के लिए किसी सलाह के पुनर्विचार को आवश्यक समझ सकता है, पर पुनर्विचार के पश्चात दी गई सलाह के अनुसार वह कार्य करेगा।

इससे संबंधित किसी विवाद की परीक्षा किसी न्यायालय में नहीं की जाएगी। इसमे राष्ट्रपती ओर मंत्रीपरीषद का निर्णय अंतिम होगा।

अनुच्छेद 76: राष्ट्रपति द्वारा महान्यायवादी (अटर्नी जनरल) की नियुक्ति

अटर्नी जनरल या महान्यायवादी पद बहोत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।  महान्यायवादी (Attorney General) भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार तथा भारतीय उच्चतम न्यायालय में सरकार का प्रमुख वकील होता है। इसकी नियुक्ति ३ साल के लिए राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

अनुच्छेद 108: यदि किसी विधेयक के संबंध में दोनों सदनों में गतिरोध उत्पन्न हो गया हो तो संयुक्त अधिवेशन बुलाये जाने का प्रावधान है ।

कभी-कभी संसद के दोनों सदनों में किसी विधेयक के सन्दर्भ में गतिरोध निर्माण हो जाता है।मसलन कोई भी विधेयक लोकसभा से पारित हो जाता है, लेकिन राज्यसभा में उसे मंजूरी नहीं मिलती। ऐसे वक़्त में दोनों संसदों का एकत्रित या संयुक्त अधिवेशन बुलाये जाता है ताकि गतिरोध ख़त्म हो सके। इससे कभी-कभी वह विधेयक या तो पास हो जाता है या उसे एक कमिटी के पास चर्चा के लिए भेज दिया जाता है।

अनुच्छेद 110: धन विधेयक को इसमें परिभाषित किया गया है।

यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण आर्टिकल है, जिससे देश के धन के बारे में  सुनिश्चित किया जाता है :

  • कोनसी  वस्तु या सेवा  पर कर  लगाना, कम करना या बढ़ाना, उसको नियमित करना इसमें उसमें कोई परिवर्तन करना 
  • भारत सरकार की ओर से ऋण लेना, नियमित करना या किसी अधिभार में कोई परिवर्तन करना
  • भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि में कुछ धन डालना हो या निकालना हो(जैसे की RBI से अभी पूंजी निकली गयी है)
  • भारत की संचित निधि में से किसी विशेष व्यय या खर्चे   संबंध में धन दिया जाना हो (जैसे की यस बैंक/ PMC बैंक  के मामले में हुआ है)
  • भारत की जमा पूंजी में से किसी भी व्यक्ति किए जाने की घोषणा करना या ऐसे व्यय को बढ़ाना 
  • भारत की संचित निधि तथा सार्वजनिक लेखों में धन जमा करने या लेखों की जांच पड़ताल करनी हो तथा उपरोक्त (1) से (6) में उल्लेखित विषयों में से संबंधित  मामले 
  • धन की आय तथा व्यय के प्रति अन्य किसी प्रकार का मामला हो, इस अनुच्छेद के दायरे में आता है।

अनुच्छेद 111: संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक और राष्ट्रपति के फैसले के बारे में

राष्ट्रपति सर्वोच्च स्थान है, लेकिन उसकी शक्तियां मर्यादित है। संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के पास जाता है। राष्ट्रपति उस विधेयक को सम्मति प्रदान कर सकता है या अस्वीकृत कर सकता है। यदि वो सम्मति प्रदान करता है तो वह  विधेयक तत्काल रूप से क़ानून बन जाता है।  लेकिन यदि राष्ट्रपति को वह  विधायक प्रस्तुत स्वरुप में ठीक नहीं लगता तो  वह कुछ टिपण्णियों के साथ या बिना टिपण्णियोंके  के संसद को उस पर पुनर्विचार के लिए भेज सकता है।

उस पर और चर्चा होती है और यदि सरकार को लगता है की कुछ चीजोंको ठीक करना है तो वह उस विधेयक को थोड़ा बदल देती है, और दुबारा राष्ट्रपति को विधायक भेजा जाता है । यदि नहीं लगता तो उसी स्वरुप में  दोबारा विधेयक को संसद द्वारा राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। ऐसे वक्त राष्ट्रपति इसे अस्वीकृत नहीं करेगा।

अनुच्छेद 112: प्रत्येक वित्तीय वर्ष हेतु राष्ट्रपति द्वारा संसद के समक्ष बजट पेश किया जाएगा।

कोई भी सरकार हो, हर वर्ष उस सरकार को एक बजट पेश करना पड़ता है, जिसे राष्ट्रपति के द्वारा स्वीकृति प्राप्त होती है। हा, यदि चुनाव सामने हो तो सरकार अंतरिम बजट भी पेश  करती है।

अनुच्छेद 124: इसके अंतर्गत सर्वोच्च न्यायालय के गठन का विस्तृत वर्णन किया गया  है।

यह अनुच्छेद न्यायपालिका के सबसे बड़े स्तम्भ, सर्वोच्च न्यायालय की रचना,उसकी शक्तियां तथा उसके कार्यप्रणाली का विस्तृत वर्णन करता है।

अनुच्छेद 129: सर्वोच्च न्यायालय एक अभिलेख न्यायालय है।

यह तय है की सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अंतिम होता है और उसे अभिलेख न्यायालय के रूप में यह अनुच्छेद मंजूरी देता है। सारे भारत में एक ही सर्वोच्च न्यायालय है।

अनुच्छेद 148:  राष्ट्रपति द्वारा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति की जाएगी।

भारत का एक नियंत्रक और महालेखा परीक्षक होगा जिसे राष्ट्रपति द्वारा  द्वारा नियुक्त किया जाएगा और उसे केवल सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में और समान आधार पर कार्यालय से हटाया जा सकेगा। उसे  अपनी रिपोर्ट सिर्फ राष्ट्रपति को ही देनी पड़ती है। इसप्रकार से वह सिर्फ राष्ट्रपति के आदेश को बाध्य होता है।

अनुच्छेद 163: मंत्रीपारिषद- मुख्यमंत्री ओर राज्यपाल के सम्मिलित कार्य 

 राज्यपाल को  सहायता एवं सुझाव देने के लिए राज्यों में एक मंत्रिपरिषद जिसकी अगुवाही  मुख्यमंत्री करेगा। यह साफ है की राज्यपाल स्वविवेक संबंधी कार्यों में वह मंत्रिपरिषद के सुझाव लेने के लिए बाध्य नहीं होगा।

इस अनुच्छेद के द्वारा,जिन बातों में इस संविधान द्वारा या इसके अधीन राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अकुछ निर्णय वह अपने  विवेकानुसार करे ।उन विवेकपूर्ण बातों को छोड़कर राज्यपाल को अपने निर्णय का  प्रयोग करने में सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रि-परिषद होगी जिसका प्रधान मुख्यमंत्री होगा। राज्यपाल से यह अपेक्षित है कि वह अपने विवेकानुसार कार्य करे वह  अंतिम होगा और राज्यपाल द्वारा की गई किसी बात की विधिमान्यता इस आधार पर प्रश्न पूछा नहीं जायेगा,न ही किसी न्यायालय में जाँच नहीं की जाएगी।

अनुच्छेद 200: राज्यों की विधायिका द्वारा पारित विधेयक और राज्यपाल  के फैसले के बारे में

यह अनुच्छेद , राज्यों के बारे में लागु है जैसे की अनुच्छेद १११ केंद्र के बारे में। इसमें राज्यपाल की वोही  भूमिका होती है, जो की केंद्र के बारे में राष्ट्रपति की। हर राज्यों की विधायिका द्वारा पारित विधेयक उस राज्य के राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। राज्यपाल  उस विधेयक को सम्मति प्रदान कर सकता है या अस्वीकृत कर सकता है। यदि वो सम्मति प्रदान करता है तो वह  विधेयक तत्काल रूप से क़ानून बन जाता है।  लेकिन यदि राज्यपाल को वह  विधायक प्रस्तुत स्वरुप में ठीक नहीं लगता तो  वह कुछ टिपण्णियों के साथ या बिना टिपण्णियोंके  के विधायिका को उस पर पुनर्विचार के लिए भेज सकता है।

उस पर और चर्चा होती है और यदि सरकार को लगता है की कुछ चीजोंको ठीक करना है तो वह उस विधेयक को थोड़ा बदल देती है, और दुबारा राज्यपाल  को विधायक भेजा जाता है । यदि नहीं लगता तो उसी स्वरुप में  दोबारा विधेयक को राज्यपाल  के पास भेजा जाता है। ऐसे वक्त राज्यपाल  इसे अस्वीकृत नहीं करेगा। राज्यपाल   एक चीज और कर सकता हैवह विधेयक को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भी भेज सकता है। राज्यपाल, राज्यों में राष्रपति का प्रतिनिधित्व करता है।

अनुच्छेद 214: सभी राज्यों के लिए उच्च न्यायालय की व्यवस्था होगी।

सर्वोच्च न्यायालय सारे देश में एक ही है , लेकिन हर राज्य में उनकी सुविधा अनुसार कम-से-कम १ उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गयी है जिससे राज्योंसे जुड़े मामलों का उचित निपटारा हो सके। उच्च न्यायालय, उस राज्य की सबसे बड़ी न्यायिक इकाई होती है।

अनुच्छेद 239: केंद्र शासित प्रदेशों का प्रशासन के बारे मे

भारत मे कुल 8 केंद्रशासित प्रदेश है उनका प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा होगा। उसे यदि सही लगता है तो बगल के किसी राज्य के राज्यपाल को उस केंद्रशासित प्रदेश के  प्रशासन का दायित्व सौंप सकता है या  नये प्रशासक की नियुक्ति कर सकता है।

अनुच्छेद 245: संसद एवम राज्य विधानपालिका के कानून बनाने की सीमा के बारे मे

भारत की केंद्र की संसद संपूर्ण देश या इसके किसी हिस्से के लिए कानून बना सक्ती है तथा राज्य विधानपालिका अपने राज्य या इसके किसी हिस्से के ले कानून बना सकती है।

अनुच्छेद 262: अंतरराज्यीय नदियां या नदी घाटियों के जल के वितरण एवं नियंत्रण से संबंधित विवादों का निपटारा संसद में हो सकता है ।

हमारे देश में बहोत सारी बड़ी-बड़ी नदिया है जो अलग-अलग राज्योंसे बहती है। ऐसे में उनके जल के वितरण एवं नियंत्रण सबंधी  विवाद हो सकते है।जैसे- कावेरी जल विवाद जोकी कर्णाटक और तमिलनाडु के बिच में है। ऐसे विवादों में संसद की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। दोनों तरफ से आर्ग्यूमेंट्स सुने जाते है और एक निर्णय पर आकर वोवादोंको संसद सुलझा सकती है।

अनुच्छेद 275: केंद्रीय सरकार  द्वारा राज्यों को सहायक अनुदान दिए जाने का प्रावधान

हर राज्य सरकार का अलग-अलग बजट तय होता है।अगर किसी राज्य में प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, भूकंप,आदि आती है हो केंद्र उसे  सहायक अनुदान द्वारा उचित मदत करती है।

अनुच्छेद 352: राष्ट्रपति द्वारा आपात काल की घोषणा का प्रावधान

यह एक विशेष अधिकार है , जिसे विशिष्ठ परिस्थितियों  में राष्ट्रपति घोषित कर सकता है  यदि वह समझता हो कि देश या उसके किसी भाग की सुरक्षा युद्ध, बाह्य आक्रमण या सैन्य विद्रोह के फलस्वरूप खतरे में है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण देश में है, जब १९७७ में इंदिरा गाँधी की सरकार ने आपात काल की घोषणा की थी, जो लगभग २ साल तक चली।


अबतक हमने सिर्फ 20 महत्वपूर्ण अनुच्छेद या आर्टिकल देखे। इनके अलावा भी बहोत सारे आर्टिकल है जो की अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सम्बंधित लेख :

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
About author

Articles

मैं अपने इस ब्लॉग पे इंटरनेट, मोबाइल, कंप्यूटर कैर्रिएर से रिलेटेड आर्टिकल पोस्ट करता हु और ये उम्मीद करता हूँ कि ये आपके लिए सहायक हो। अगर आपको मेरा आर्टिकल पसंद आये तो आप इसे लाइक ,कमेंट अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे और आपको मुझे कोई भी सुझाव देना है तो आप मुझे ईमेल भी कर सकते है। मेरा ईमेल एड्रेस है – [email protected].

2 Comments

Comments are closed.
error: Content is protected !!