Display Technology के कितने प्रकार हैं? आज के समय में हर इंसान की सबसे पहली ज़रूरत है स्मार्टफोन। स्मार्टफोन के बिना तो आज लोग जीवन को Imagine ही नहीं किया जा सकता है।
पहले इक्के-दुक्के लोग ही स्मार्टफोन चलाना जानते थे अब देखिए जनाब जन जन के हाथ मे फिर चाहे वो बच्चा हो या बूढ़ा स्मार्टफोन सबसे पहले नज़र आता है। सच में अब सब कुछ मानो हमारे हाथ में ही हो।
अब कहीं न आना है न जाना है और न ही कहीं घण्टों लाइन लगानी है। सब बस आपकी मुट्ठी में है। आप बस एक Click करेंगे और चाहें तो Bill Pay करें या फिर चाहें तो Food order करें। Payment करने के लिए भी आपके पास एक नहीं बल्कि बहुत सारे Options Available हैं।
स्मार्टफोन में लोगों की जान बसती है और ऐसा होना भी लाज़मी ही है, क्योंकि आज हमारी हर एक ज़रूरत इसी से पूरी हो रही है। Entertainment से लेकर Cylinder book करने तक हमारे सारे काम इसी से तो होते हैं। अब न कहीं आना होगा और न कहीं जाना है, बस अपना फोम उठाना है और बस फिर सारे काम चुटकियों में Done हो जाएंगे।
अब जब स्मार्टफोन हम सभी के जीवन में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा ही रहा है तो ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि हम इसकी तरफ विशेष ध्यान दें। जब भी हम स्मार्टफोन खरीदें तो हम उसको अच्छे से देख और परख के ही खरीदें।
आजकल स्मार्टफोन खरीदते समय एक बात पर और विशेष ध्यान दिया जा रहा है वो है इसकी Display पर। इसी Display के जरिए ही हम किसी भी स्मार्टफोन में सारे Functions को Open कर पाते हैं। आए दिन अलग अलग कंपनियां इसमें कुछ न कुछ बदलाव करती रहती हैं और इसे बेहतर रूप प्रदान करने की कोशिश में लगी रहती हैं। किसी भी स्मार्टफोन में इसकी बहुत ज्यादा अहमियत होती है इसीलिए इसके बारे में आप सभी को पता होना ही चाहिए।
आज ये Article हम खास Display के ऊपर लेकर के आए हैं। इसमें हम आप सभी को बताएंगे कि Display types क्या होती हैं और कुछ प्रमुख Display type के बीच में हम आपको अंतर भी बताएंगे। चलिए दोस्तों फिर जानना शुरू करते हैं।
Display type क्या होते हैं?
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अगर हम बीते कुछ साल को देखें तो हम ये पाएंगे कि बीते हुए कुछ सालों में स्मार्टफोन की जो Display है वो काफी बेहतर हुई है। लेकिन अगर आपने गौर फरमाया होगा तो देखा होगा कि हर स्मार्टफोन Display के साथ एक Short form में संक्षिप्त नाम जुड़ा रहता है। ये कुछ इस तरह से होता है जैसे Amoled, LCD आदि।
दोस्तों तो हम आपको बता दें कि ये बस केवल एक नाम नहीं होता है बल्कि ये अपने आप में एक तकनीक होता है। स्मार्टफोन पर OLED, AMOLED, LED, LCD, IPS आदि अलग-अलग पैनल लगे हुए हैं। ये सभी काफी अलग होते हैं। Market में पहले से ही इतने सारे पैनल मौजूद हैं उसके बाद Apple और Samsung जैसे स्मार्टफोन की बड़ी नामी कंपनियां लोगों के बीच में भ्रम पैदा कर देती है।
Apple की Display Super Retina XDR तथा Samsung की Display dynamic AMOLED लोगों के बीच असमंजस बढाने का काम करती है। लोग पहले से ही जो मौजूद Display हैं उनके बारे में तो जानते ही नहीं है। अब इनके बारे में भी जानना उनके लिए सच में काफी ज्यादा कठिनाई वाला काम है।
दोस्तों अगर हम इसको समझने की कोशिश करें तो Market में आपको Display को लेकर दो तरह की टेक्नोलॉजी मिल जाएगी। एक तो है OLED और दूसरी है LCD, इन दोनों में ही कुछ अलग-अलग तरह की Generations हैं। ये बाकी के Screen टाइप को Short form बनाती है।
अगर टीवी की दुनिया की बात करें तो उसमें भी अलग-अलग Screen types उपलब्ध हैं जैसे कि QLED, LED, miniLED आदि। ये सारे ही LCD टेक्नोलॉजी के ही अलग-अलग रूप हैं। इन सबमें आपको थोड़ी बहुत ही असमानता देखने को मिलेगी। आइए अब इनके बारे में हम थोड़ा विस्तार से जानते हैं।
LCD डिस्प्ले क्या होता है?
ये Display ऐसे फोन में लगाई जाती है जिनकी लागत कम हो। ये एक ऐसा Display type है जो धूप की रोशनी में भी बेहतर तरीके से काम करता है। क्योंकि इसमें से पीछे से Backlight मिलती है। वहीं ऐसे भी कई रंग होते हैं जिन्हें प्रकाश की ज़रूरत नहीं होती है। ऐसे में डिस्प्ले पर वो सटीक रंग आपको बड़ी मुश्किल से नज़र आते हैं।
अगर हम इसकी फुल फॉर्म के बारे में जानें तो इसकी फुल फॉर्म Liquid Crystal Display है। इसमें Liquid Crystal की ही एक सीरीज प्रदान की जाती है। इसी सीरीज के पीछे ही Backlight होती है।
यह एक ऐसी डिस्प्ले है जो हर जगह आसानी से उपलब्ध हो जाती है। साथ ही हमने आपको यह भी बताया कि इसकी जो कीमत है वो काफी कम है। इसीलिए सस्ते स्मार्टफोन में ये एक प्रचलित विकल्प है।
अगर बात करें स्मार्टफोन की तो इसमें आपको TFT और IPS दोनों तरह की डिस्प्ले मिलती है। TFT का पूरा नाम Thin Film Transistor और ये कुछ और नहीं बल्कि LCD का ही एक Advanved version है।
इस तरह की स्क्रीन टाइप में Active matrix का इस्तेमाल किया जाता है। यहां पर जिस Active matrix की बात हम लोग कर रहे हैं उसका अर्थ होता है कि हर एक Pixel एक अलग Transistor या फिर Capacitor से जुड़ा होगा।
फायदे : इसके फायदे की बात करें तो, इसका सबसे बड़ा फायदा तो ये है कि इसको बनाने में खर्चा कम लगता है। अगर असल LCD से इसकी तुलना करें तो उसके मुकाबले इसमें Contrast ज्यादा मिल जाता है। दूसरी तरफ इनका एक नुकसान भी है।
हानि : इनसे ये हानि है कि इसमें आपको ज्यादा बैटरी की ज़रूरत होती है। साथ ही इनके Viewing angle और Colors भी इतने कोई खास नहीं होते हैं। ये कुछ कारण है जिनकी वजह से भी अब इनको स्मार्टफोन में काफी कम इस्तेमाल किया जाने लगा है।
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TFT, LTPS, LTPO तथा IGZO स्मार्टफोन Display क्या है?
कंपनियां कुछ और Display का इस्तेमाल करती हैं जो कि निम्न हैं-
◆ TFT – जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि ये LCD डिस्प्ले का ही एक प्रकार होता है। इसमें नीचे एक पतली Semi conductor की लेयर होती है। ये लेयर हर एक Pixel पर जो रंग होते हैं उन्हें Control करने का काम करती है। बाकी इसमें भी Active matrix का इस्तेमाल किया जाता है जो AMOLED में भी होता है।
◆ LTPS – ये Amorphous silicon तकनीक पर आधारित होता है। इसका पूरा नाम Low Temperature Poly Silicon है। ये TFT का ही एक वेरिएंट होता है जो कि High resolution के साथ आता है। इसमें एक खासियत यह है कि ये TFT की तुलना में कम Power लेता है।
◆ LTPO – इसको बनाने वाली कंपनी Apple है। अगर आज की बात करें तो इसको LCD तथा OLED दोनों तरह की डिस्प्ले में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें LTPS और IGZO दोनों का ही इस्तेमाल किया जाता है इसीलिए इसमें Power की कम ज़रूरत होती है। ये आपको अभी Apple watch 4 और कुछ जगहों पर देखने को मिलेगी। इसका पूरा नाम Low Temperature Poly crystalline Oxide होता है।
◆ IGZO – ये भी एक प्रकार का Semi conductor material ही होता है। ये नीचे जो फ़िल्म लगी होती है उसमें इस्तेमाल किया जाता है। इसका पूरा नाम Indium Gallium Zinc Oxide होता है। इसका इस्तेमाल LTPO को बनाने में भी किया जाता है।
IPS डिस्प्ले क्या होता है?
इसको In Plane Switching टेक्नोलॉजी के नाम से भी जाना जाता है। सबसे पहले जो IPS टेक्नोलॉजी आई थी जिसमें TN तकनीक का इस्तेमाल होता था। IPS ने सबसे पहले LCD डिस्प्ले में आने वाली समस्या को दूर करने का काम किया। ज्यादातर जो सस्ते फोन और टैबलेट होते थे उनमें आपको एक समस्या नज़र आती थी। इसमें जब आप Side से देखते थे तो आपको रंग बहुत खराब नज़र आते थे।
इसमें जो Crystal डिस्प्ले होते हैं वो एक Line में लगे हुए होते हैं जिससे आपके View का जो Angle होता है वो काफी बेहतर होता है। आपको ये ज्यादातर स्मार्ट टीवी में देखने को मिलता है जहां पर आपको 180 डिग्री का Viewing angle मिलता है।
इसकी एक खास बात यह है कि इसमें आपको कलर रिप्रोडक्शन बहुत ज्यादा बेहतर मिल जाता है। जिन Monitor पर Image editing की जाती है उन सभी के लिए ये काफी बेहतर साबित होता है। IPS LCD का इस्तेमाल ज्यादातर महंगे फोन में किया जाता है।
PLS LCD डिस्प्ले क्या होता है?
इसकी फुल फॉर्म Plane in Line Switching होती है। ये काफी हद तक IPS के नाम की तरह ही लगती है। अब आप सबको लग रहा होगा कि ऐसे में तो इनमें कोई खास अंतर भी नहीं होगा। तो हां, दोस्तों इनमें कोई ज्यादा अंतर नहीं है। इनके काम एक तरह से ही हैं। जो PLS टेक्नोलॉजी है उसको बनाने वाला Samsung है।
इसकी भी खासियत IPS की तरह ही डिस्प्ले पर अच्छे रंगों को दर्शाना है। इससे भी आपका जो Viewing angle है वो बेहतर मिल पाता है। अगर हम इसकी तुलना OLED या फिर LCD / VA से करें तो हम पाएंगे कि इसमें इनकी तुलना में Contrast काफी कम होता है।
इसमें आपको Brightness का लेवल काफी बेहतर देखने को मिल जाता है। साथ ही इसमें लागत भी काफी कम लगती है। बाकी अन्य कंपनी के IPS से अगर इसकी तुलना की जाए तो इसमें आपको उन सभी से बेहतर Viewing angle मिल जाते हैं।
AMOLED डिस्प्ले क्या होता है?
अगर हम इसका पूरा नाम जानें तो फिर हमें ये लगेगा कि ये काफी ज्यादा मुश्किल है। क्योंकि इसका पूरा नाम है Active Matrix Organic Light Emitting Diode, लेकिन दोस्तों ये ज़रा भी मुश्किल नहीं है। अभी हमने आप सभी से TFT LCD के बारे में बात तो की ही है। वहीं अगर OLED को देखें तो ये बस एक पतली सी लेयर वाली फ़िल्म डिस्प्ले तकनीक है।
जिस तरह से OLED का नाम है, ठीक उसी तरह से इसका काम भी है। ये Organic light को Emit करने का काम करता है। अभी हमने आपको बताया था कि जो LCD पैनल होता है उसमें पीछे Backlight होती है, जबकि OLED डिस्प्ले में ऐसा कुछ भी नहीं होता है और ये पूरी तरह से बंद होता है।
इसमें जब किसी भी Pixel में करंट पास होता है तो वो लाइट को छोड़ने का काम करता है। यही कारण है कि आपको इसमें एकदम सटीक रंग देखने को मिल जाते हैं। जब इसमें आपको सटीक रंग देखने को मिलते हैं तो आपको इसमें गहरा काला देखने को मिल जाता है। ये ऐसी टेक्नोलॉजी है जो आपको गहरे रंगों को प्रदर्शित करने में काफी कम ऊर्जा लेती है। मगर हां LCD स्क्रीन की तुलना में OLED डिस्प्ले में जो लागत लगती है वो काफी ज्यादा होती है।
चूंकि इसमें काफी सारे Pixels बंद हो जाते हैं और इसमें करंट नहीं आता है। इसीलिए अगर हम इसकी तुलना Contrast के मामले में LCD डिस्प्ले से करें तो आपको ये निष्कर्ष मिलेगा कि इस मामले में LCD डिस्प्ले ही बेहतर है।
आप LCD को इसकी तुलना में ज्यादा Bright भी बना सकते हैं। इसके पीछे का कारण यह होता है कि जो AMOLED होते हैं वो Organic material के बने होते हैं इसीलिए उनकी Brightness कुछ समय बाद कम होने लगती है। इससे कई बार आपको Screen बर्न इन जैसी समस्याएं देखने को मिल जाती है। वैसे दोस्तों ये जो समस्या है ज्यादातर आपको पुराने स्मार्टफोन्स में ही देखने को मिलती थी, अब के जो फोन हैं उसमें आपको ऐसी कोई भी समस्या देखने को नहीं मिलती है। लेकिन AMOLED डिस्प्ले में आपको Refresh rate काफी ज्यादा मिल जाता है। AMOLED डिस्प्ले में अंदर कोई भी बैकलिट की लेयर नहीं लगाई जाती है इसीलिए LCD डिस्प्ले की तुलना में ये काफी पतली होती है।
Retina, Super Retina तथा XDR डिस्प्ले क्या होता है?
जब Apple कंपनी ने 2010 में अपना स्मार्टफोन iPhone 4 लांच किया था, तब इसमें उन्होंने LCD डिस्प्ले का ही इस्तेमाल किया था। उस समय स्मार्टफोन इतने ज्यादा प्रचलित तो थे नहीं और वहीं डिस्प्ले भी ज्यादा नहीं थी। इसीलिए यही मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। बाद में उसी LCD पैनल को हाई Resolution के साथ Retina डिस्प्ले का नाम दे दिया गया था। उस फोन में जो डिस्प्ले थी वो महज़ 3.5 इंच की ही थी। इसका नाम Retina रखने के पीछे एक बहुत बड़ा कारण था।
Apple कंपनी के अनुसार एक निश्चित दूरी से हमारी या किसी भी इंसान की आंखें अलग-अलग Pixels में फर्क कर पाने में असमर्थ होती है। iPhones के केस में, ये नाम तब इस्तेमाल होता था जब फ़ोन की डिस्प्ले पर 300 ppi (pixel per inch) से ज्यादा होती थी। इसके बाद बाकी तमाम कंपनियों ने भी High resolution पैनल को अपनाना शुरू कर दिया। फिर तो कम्पटीशन बढ़ गया और सभी ने High resolution को बाजारों में लाना शुरू कर दिया।
Apple को कुछ और बेहतर करना था। इसीलिए Apple ने खुद को और ऊपर उठाने के लिए अपने फोन में इस्तेमाल होने वाली OLED डिस्प्ले को Super Retina का नाम दे दिया। ये जो डिस्प्ले है ये आपको iPhone X में सबसे पहले देखने को मिली थी और फिर उसके बाद जितने भी फोन आए, उन सबमें इसी का इस्तेमाल किया गया था। ये डिस्प्ले High contrast और रंगों की सटीकता के लिए जानी जाती है।
अंत में Apple ने और Advance डिस्प्ले को मार्केट में Intoduce किया। इस डिस्प्ले का नाम Super Retina XDR था। इसमें कुछ अलग नहीं है, बल्कि इसमें भी उसी OLED पैनल का इस्तेमाल किया गया है। खास बात यह है कि इस पैनल को बनाने वाला कोई और नहीं बल्कि LG और Samsung ही है। इसमें आपको और भी बेहतर Contrast लेवल देखने को मिल जाता है। ये ऐसे Contents के साथ काफी ज्यादा शानदार है जो HDR होते हैं। इसमें आपको 1200 nits के साथ Brightness मिलती है।
दोस्तों iPhone XR और iPhone 11 के ग्राहकों को भी खुश रखने के लिए कंपनी ने इनमें आने वाले LCD पैनल को “Liquid Retina” का नाम दे दिया। बाद में यही डिस्प्ले कंपनी Standard के अनुसार बेहतर Resolution और सही रंगों के साथ iPad Pro और iPad Air model में भी देखने को मिला।
OLED, AMOLED तथा Super AMOLED के बीच क्या अंतर है?
अगर हम बात करें OLED की तो इसको Organic light emitting diode कहा जाता है। जो OLED डिस्प्ले होती है वो एक पतली सी Electro luminiscent material से बनी हुई होती है। ऐसा होने के पीछे एक सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि ये हल्के होते हैं। साथ ही इसमें किसी भी बैकलिट को लगाने की ज़रूरत नहीं पड़ती है। ये अपनी खुद की रोशनी पैदा करने का काम करते हैं। इस वजह से आपको बिजली की भी कम ज़रूरत होती है। फिर जब हम इसी OLED डिस्प्ले को स्मार्टफोन में लगाते हैं या फिर टीवी आदि में इस्तेमाल करते हैं तो हम इसी को AMOLED के नाम से जानने लगते हैं।
जो AMOLED शब्द है इसमें शुरुआत के दो अक्षर AM का मैटल4होता है Active matrix से। ये p OLED यानी Passive active matrix से काफी अलग होता है। अभी स्मार्टफोन की बात करें तो उसमें ये काफी कम प्रचलित है।
अब बात करते हैं Super AMOLED की। Super AMOLED को दक्षिण कोरियाई कंपनी Samsung के द्वारा बनाया गया है। ये डिस्प्ले आपको Samsung के Mid range से लेकर हाई Range तक के सभी स्मार्टफोन में देखने को मिल जाती है। इसका काम भी IPS LCD की तरह ही है।
इसमें भी एक साधारण AMOLED डिस्प्ले पर टच Response को जोड़कर के एक किया जाता है। इसमें अलग से किसी भी लेयर को लगाने का कोई भी काम नहीं किया जाता है। बस यही कारण है कि जब आप सूरज की रोशनी में होते हैं तो अगर आपकी डिस्प्ले Super AMOLED होती है तो आपको बेहतर चीज़ें नज़र आती हैं। अगर बात करें Power की तो इसमें काफी कम ऊर्जा की ज़रूरत होती है। Super AMOLED डिस्प्ले AMOLED डिस्प्ले का ही एक Advanced version है।
LCD / LED तथा AMOLED में से कौन सी डिस्प्ले में हमें लेनी चाहिए?
ये सबसे बड़ा सवाल है कि हमें कौन सी डिस्प्ले को लेना चाहिए। दोस्तों ये तो हम सभी जानते ही हैं कि कोई भी टेक्नोलॉजी हम सभी के लिए जितनी फायदेमंद है, उतनी ही नुकसानदेह भी है।
अगर बीते कुछ सालों की बात करें तो हम देखेंगे कि पिछले कुछ सालों में लोगों का OLED डिस्प्ले की तरफ ज्यादा Interest देखा गया है। वहीं Premium फ्लैगशिप स्मार्टफोन्स में तो ऐसा कुछ ज्यादा ही देखने को मिला है।
जब Apple कंपनी ने iPhone X को लांच किया था, तो OLED डिस्प्ले की लोकप्रियता काफी ज्यादा बढ़ गई थी। ये एक हाई रेंज एंड फोन था और इसी ने दुनिया को OLED से भी Introduce करवाया था। हम आपको पहले भी बता चुके हैं कि OLED या फिर जो AMOLED डिस्प्ले होते हैं वो अपनी खुद की रोशनी बनाते हैं। साथ ही इसमें Contrast लेवल भी बढ़ता है। इसका एक और फायदा यह है कि इसमें आपको गहरा काला रंग भी बेहतर देखने को मिल जाता है। वहीं दूसरी तरफ इनको बनाने में काफी ज्यादा लागत लगती है। साथ ही इनके Components की जो पूर्ति करने वाले कंपनियां हैं वो काफी कम है। वहीं जो LCD डिस्प्ले हैं उसके पैनल को बनाने वाली काफी कंपनियां हैं।
दोस्तों तो ये थी Display types से जुड़ी सारी जानकारी। अब तो आप सबको समझ में आ ही गया होगा कि ये क्या होते हैं और कुछ खास डिस्प्ले Types के बीच मे अंतर क्या है। इन सबमें Basically रंगों की सटीकता, Brightness, contrast तथा Resolution का ही अंतर ही होता है।
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