दोस्तों अगर आप से पूछा जाए कि किसी भी इंसान को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में किसका हाथ होता है? तो कहीं न कहीं आपका जवाब भी होगा कि Studies और Knowledge का।
हालांकि आप सभी भी होते हैं मगर आप खुद ही सोचिए कि क्या केवल पढ़ाई से ही कोई अपनी मंजिल को पा लेता है? पढ़ाई के साथ उसे और कुछ करने की ज़रूरत नहीं होती है क्या?
अब आप लोग ही बताइए कि जब बच्चा जन्म लेता है तो उसके बाद क्या वो कुछ सीखता नहीं है, जब तक वो स्कूल नहीं जाता है?
कुछ न कुछ तो बच्चा हरदम ही सीखता रहता है न? इन सब चीजों का प्रभाव एक बच्चे के जीवन मे बहुत ज्यादा पड़ता है।
हां माना की Study के बिना कुछ नहीं हो सकता मगर जब तक बच्चा खेलेगा कूदेगा नहीं, नाच गाना नहीं करेगा तब तक भी वो कुछ नहीं कर सकता है।
इसीलिए शायद बच्चे को 3-4 साल का हो जाने पर ही स्कूल में Admit कराया जाता है। इससे क्या होता है कि बच्चे का Mind थोड़ा Develop हो चुका होता है।
तो ये Development कैसे हुआ? ये हुआ बच्चे की अपनी Activities से। यही Activity जीवन को प्रभावित कर देती है।
शुरू से ही बच्चों को पढ़ाई में उलझा दिया जाता है। हर Parents का यही कहना होता है कि, ‘अगर Top करोगे तो जो मांगोगे वो दिलाएंगे।’
अब कोई भी बच्चा जब उसको Reward उसकी पसंद का मिलने वाला होगा तो वो वही करेगा न जो उसको करने के लिए कहा जाएगा।
यही कारण है कि बच्चा हरदम बस किताबों में खोया रहता है। पढ़ाई के साथ बच्चों के Mind को विकसित करने के लिए बहुत सी चीजें चाहिए होती हैं।
दोस्तों खेलकूद, नाच गाना, संगीत, Cooking, Craft आदि चीज़ों के बारे में भी बच्चों को समझाना चाहिए। इससे बच्चे पढ़ाई में भी Interest लेने लगते हैं।
दोस्तों पढ़ाई के साथ साथ जो Activities होती हैं उन्हीं को हम Co curricular activities कहते हैं। इसको नई शिक्षा नीति में भी शामिल गया है।
अब Academics syllabus के साथ बच्चों को Activities करवाना भी अनिवार्य है। क्योंकि Study बिना Curricular activity के बिल्कुल ही अधूरी है मानो।
नहीं समझ न आया कैसे? कोई बात नहीं।आज हम आप से इसी के बारे में बात करने जा रहे हैं।
इस Article में आज हम आप सभी को सारी जानकारी देंगे कि ये Co curricular activities क्या होती हैं तथा इनका क्या महत्व होता है। आइये फिर जानना शुरू करते हैं इसके बारे में।
क्या होती है Co curricular activities?
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शायद कुछ लोगों को ये समझ न आ रहा हो। तो हम आपको बता दें कि इसको सह पाठ्यक्रम गतिविधियां भी बोलते हैं।
जैसा कि इनके नाम से ही पता चलता है आपकी पढ़ाई के साथ साथ चलने वाली Activities होती हैं।
जिस तरह से आपके जीवन मे Studies का महत्व होता है, बस बिल्कुल उसी तरह से आपके जीवन मे Curricular activities का भी महत्व होता है।
किसी भी व्यक्ति की Personality को उभारने में दोनों का बहुत बड़ा योगदान रहता है। ये दोनों ही इंसान के जीवन का एक मजबूत आधार होती हैं।
आज लगभग सभी स्कूलों में Academics syllabus के साथ साथ Co curricular activities भी करवाई जा रही हैं।
ऐसे में विद्यालय एक Positive step ले रहे हैं बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की ओर। क्योंकि ये हर कोई जानता है कि कोई भी बच्चा हो, उसके लिए किताबी ज्ञान के साथ ही अन्य कौशल में भी निपुण होना चाहिए।
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आइये अब देख लेते हैं कि हम इसको Define कैसे करेंगे –
Definition of co curricular activity- दोस्तों ये एक पाठ्यक्रम होता है। ये एक ऐसा पाठ्यक्रम होता है जो Main पाठ्यक्रम के पूरक के रूप में काम करता है।
किसी भी पाठ्यक्रम के लिए इसको बेहद ज़रूरी माना जाता है। बिना इसके तो मानो पाठ्यक्रम भी अधूरा ही है। बच्चों की Personality को Develop करने में ये बहुत सहायक होती है।
साथ ही स्कूली शिक्षा को भी ये मजबूत बनाती है। इस तरह के कार्यक्रम को रोज नहीं बल्कि समय समय पर हर स्कूल में Organize किया जाना चाहिए जिससे बच्चों का भविष्य बेहतर हो सके।
- Co curricular activities के Examples –
अभी तक शायद आप मे से किसी को न समझ आया हो कि हम किसी Activities की बात यहां पर कर रहे हैं।
चलिए हम आपको कुछ Examples दे देते हैं। इससे आपको बहुत अच्छे से समझ आ जाएगा।
इसके अंतर्गत Debate competition, Sports and games Essay writing, Skit, Singing, Dancing, Rangoli making, Story telling जैसी गतिविधियां आती हैं।
इसके अलावा भी कुछ चीज़ें इसमें शामिल होती हैं जैसे- त्योहार मनाना, Fancy dress competition तथा Decoration या लोकनृत्य। मतलब कि जो भी स्कूल में बच्चों को Studies से हटकर करवाया जाता है वो यही सब Activity का ही एक Example है।
दोस्तों जिस तरह से Sports दो तरह के होते हैं न, उसी तरह से Curricular activities भी 2 तरह की होती हैं। एक Indoor और दूसरी Outdoor activities, आइये अब जानते हैं इनके बारे में।
- Outdoor co curricular activities
इनमें वो सारी गतिविधियां आती हैं जो बाहर होती हैं। मतलब जिन्हें आप एक बंद कमरे में नहीं कर सकते हैं जैसे –
- Morning assembly
- Cycling
- Gardening
- Cricket
- Group parade
- Group drill
- Yoga
- Exercise
- Basketball
- Walking
- Football
- Kho kho
- Volleyball इत्यादि।
- Indoor co curricular activities
इनमें वो सारी चीज़ें आती हैं जिनके लिए आपको एक बड़े Area या फिर कह लीजिए Field की ज़रूरत नही होती है जैसे-
- सिलाई
- Cooking
- Modeling
- Music
- Dance
- Singing
- Painting
- Decoration
- Rangoli making
- कला और शिल्प
- Book binding
- Medical
- Clay models आदि।
Co curricular activities तथा एक छात्र की भूमिका; –
इससे एक छात्र व्यवहार किस तरह से होना चाहिए इसको समझने में सफल हो पाता है। एक हद तक अगर कहा जाए तो ये क्लास शिक्षण और प्रशिक्षण को मजबूती प्रदान करता है।
हर छात्र के लिए ज़रूरी है कि Study के साथ साथ उसे और भी चीजों की समझ हो।
बौद्धिक विकास के लिए ज़रूरी है कि बच्चे की Classroom teaching ज़रूरी है। वहीं बच्चे के सौंदर्य विकास, आध्यात्मिक विकास, चरित्र निर्माण
आदि के लिए ज़रूरी है कि वो Co curricular activities में भी रुचि दिखाए।
Co curricular activities की क्या विशेषता है?
दोस्तों शिक्षा के क्षेत्र में इसकी निम्न विशेषताएं हैं-
- दोस्तों ये Academics के साथ साथ कदम से कदम मिलाकर चलती हैं। यही कारण है कि इन्हें सह पाठ्यक्रम गतिविधि भी कहते हैं।
- इससे Inactive बच्चों को भी Active बनाया जा सकता है। जैसे हर बच्चे का मन पढ़ाई में तो लगता नहीं है। ऐसे में इन Activities से उन्हें वो करने का मौका भी मिल जाएगा जिसमें उनको आनन्द आता है।
- इससे बच्चों की Personality को और अधिक निखारा जा सकता है।
- यह Activity पक्ष पर Based होती है।
- इसमें आपके बौद्धिक विकास से ज्यादा शारीरिक विकास पर जोर डाला जाता है।
- इन Activities से बच्चों के अंदर के Hidden talent को पहचाना जा सकता है। वरना पढ़ाई पढ़ाई में ये पता ही नहीं चल पाता है कि बच्चा खुद क्या करना चाह रहा है। इसीलिए बच्चा न तो Academics में Better कर पाता है और न ही Curricular activities न होने की वजह से अपने जीवन मे कुछ Better कर पाता है।
- बच्चों का जो व्यवहार होता है, आप उसमें इन Activities की वजह से ही Amendment कर सकते हैं।
Co curricular activities का क्या महत्व है?
अगर बात करें शिक्षा के क्षेत्र में तो, शिक्षा के क्षेत्र में इसका बहुत अधिक महत्व है जैसे –
- इससे बच्चों को Fit और Energetic बनाया जा सकता है।
- इससे बच्चों की Decision making काफी बेहतर होती है।
- ऐसी सारी Activities जैसे खेलकूद, Debate competition आदि बच्चों की शिक्षा को पूर्ण बना देता है।
- इन Activity के माध्यम से बच्चों के Interet को समझा जा सकता है। इससे उनकी रूचि को भी बढ़ावा और प्रोत्साहन मिलता है।
- वाद विवाद के माध्यम से छात्र Independent होकर खुद को अभिव्यक्त कर पाता है।
- इससे बच्चों में अपनेपन की भावना विकसित होती है।
- इससे बच्चे Time management भी सीखते हैं। साथ ही Discipline में रहकर चलना भी सीखते हैं।
- इससे बच्चे किसी भी कार्य को संगठित रूप में करना सीख जाते हैं।
- यह छात्रों को समाजीकरण, आत्म पहचान तथा आत्म मूल्यांकन का भी एक अवसर प्रदान करता है।
- इससे दूसरी गतिविधियों को भी प्रोत्साहन मिल जाता है जैसे नाचना, गाना, निबंध लिखना, Acting, Poem आदि।
Co curricular activities को Organise करने में एक शिक्षक की क्या भूमिका होनी चाहिए?
अब जब सह पाठ्यक्रम गतिविधियां हो ही रही हैं तो ऐसे में शिक्षक का भी एक अहम Role होता है। आइये अब देखते हैं कि इसमें एक शिक्षक की क्या भूमिका होती है।
◆ शिक्षक को एक अच्छा आयोजक होना चाहिए। अगर शिक्षक अच्छा आयोजक अच्छा होगा तभी बच्चे इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा पाएंगे।
◆ इसके तहत एल शिक्षक का यह कर्तव्य होना चाहिए कि वो पाठ्यक्रम गतिविधियों का प्रदर्शन करते हुए बच्चों को ज्यादा से ज्यादा अवसर प्रदान करे।
◆ इसके लिए ज़रूरी है कि शिक्षक एक अच्छा योजनाकार हो ताकि किसी भी Activity को व्यवस्थित ढंग से पूरा किया जा सके।
दोस्तों तो ये थी Co curricular activities से सारी जानकारी। अब आप सब समझ ही गए होंगे कि इनका किसी भी व्यक्ति के जीवन मे क्या महत्व होता है।
एक तरह से हम अब ये कह सकते हैं कि एक इंसान या फिर छात्र की Personality को निखारने का काम ये Activities ही करती हैं।
स्कूल में इस तरह के पाठ्यक्रम को शामिल करने से बच्चों का मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह का विकास हो पाता है।
कई बार आप ने भी ये ध्यान दिया होगा कि बच्चे Regular studies में Bore हो जाते हैं। वहीं जब भी Games का Period होता है, बच्चे बहुत ज्यादा Active हो जाते हैं।
इसका मतलब ये है कि ये Inactive से Active position में लाने का काम भी करता है। इन Activities से एक शिक्षक को बच्चों को Observe करने का मौका मिलता है तथा Observation से शिक्षक बच्चों के स्वभाव का पता आसानी से लगा लेता है।
इसीलिए दोस्तों स्कूली स्तर पर Co curricular activities का होना अनिवार्य है।
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