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जानिए प्रधानमंत्री कुशल विकास योजना क्या है -पूरी जानकारी

जानिए प्रधानमंत्री कुशल विकास योजना क्या है -पूरी जानकारी

जानिए प्रधानमंत्री कुशल विकास योजना क्या है -पूरी जानकारी : किसी भी देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में कौशल और ज्ञान की एक अहम भूमिका होती है।

ये वो प्रेरक तत्व हैं जो देश को आगे ले जाते हैं। जहाँ विकसित देशों में कुशल कार्यबल करीबन 60% से 90% की बीच है, वहीं भारत में इसका प्रतिशत कुछ कम है।

इनके महत्व को समझते हुए करीबन 20 मंत्रालयों/विभागों ने भारत में करीबन 70 से भी अधिक कौशल विकास सम्बंधित योजनायें चालू की हैं।

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ये सभी योजनायें ‘स्किल इंडिया’ अभियान के अन्दर ही समाहित हैं।

प्रधानमंत्री कुशल विकास योजना क्या है ?

औपचारिक रूप से राष्ट्रीय कौशल विकास योजना 15 जुलाई 2015 से चालू हुआ है।

इसको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई में हरी झंडी दी गयी है।

ये एक बहुत ही सफल योजना है जिसने विभिन्न राज्यों और उसके विभिन्न घटकों के बीच में समन्वय स्थापित कर कौशल प्रशिक्षण गतिविधियों को बढ़ावा दिया हैं।

ना केवल इस योजना ने कौशल विकास को समन्वित और समेकित किया है बल्कि कौशल विकास को त्वरित गति देने के लिए विभिन्न क्षेत्रों को इतना मज़बूत किया है कि वो अपने निर्णय खुद ले सकें।

प्रधानमंत्री कुशल विकास योजना का उद्देश्य:

इस योजना का मुख्य उद्देश्य यही है कि भारत में करीबन 40 करोड़ लोगों को  2022 तक विभिन्न प्रकार के कौशल प्रशिक्षण दिए जाए जिससे की उनका सामर्थ्य और ज्ञान बढे।

इस अभियान के अंतर्गत बहुत सी योजनायें काम कर रहीं हैं जैसे ‘राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन’, ‘प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)’, ‘कौशल ऋण योजना’, ‘कौशल विकास और उद्यमिता राष्ट्रीय नीति, 2015’ आदि।

राष्ट्रीय कौशल विकास निगम एक सार्वजनिक निजी भागीदारी कंपनी है जिसका मुक्य उद्देश्य भारत में कौसल विकास को बढ़ावा देना ही है।

इसके तीन मुख्य स्तम्भ हैं जिस पर ये खड़ी है:

  1. उच्च गुणवत्ता से युक्त व्यावसायिक प्रशिक्षण देने वाली संस्थाओं की स्थापना करना और उन्हें विकसित करना।
  2. लॉन्ग-टर्म कैपिटल प्रदान करके इस योजना से जुड़े जोखिमों को कम करना। इसमें अनुदान और समानता भी सम्मिलित हैं।
  3. कौशल विकास के लिए ज़रूरी समर्थन प्रणालियों को बनाना और उन्हें समर्थन प्रदान करना।

कौशल विकास योजना के अंतर्गत सम्मिलित योजनायें:

बहुत सी योजनायें और कार्य इस अभियान का भाग हैं, जैसे:

  • प्रधानमंत्रि कौशल विकास योजना
  • दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना
  • राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना
  • क्राफ्ट्समेन प्रशिक्षण योजना
  • प्रधानमंत्री कौशल केंद्र
  • विकलांग व्यक्तियों के कौशल प्रशिक्षण के लिए वित्तीय सहायता
  • प्रशिक्षुओं का प्रशिक्षण
  • अल्पसंख्यकों के लिए कौशल विकास
  • हरा (ग्रीन) कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम

प्रधानमंत्री कुशल विकास योजना के मुख्य लक्ष्य:

  • कौशल विकास के लिए एक एन्ड-टू-एन्ड इम्प्लीमेंटेशन (कार्यान्वयन) ढांचा बनाना। ढांचा ऐसा होना चाहिए जो जीवन पर्यंत काम आये। इसके अंतर्गत: स्कूलों में कौशल विकास के कार्यक्रमों को समाहित करना, अल्पकालिक और दीर्घकालिक कौशल प्रशिक्षण की संभावनाओं को बढ़ावा देना, रोज़गार के बेहतर अवसर प्रदान करना ताकि कौशल का बेहतर प्रयोग किया जा सके, आदि शामिल हैं।
  • प्रशिक्षुओं की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए नियोजित प्रशिक्षण देना तथा कार्यबल उत्पादकता का ध्यान रखना जिससे की वो स्थायी आजीविका प्राप्त कर सकें।
  • कौशल प्रशिक्षण के लिए एक ऐसा ज़बरदस्त गुणवत्ता पूर्ण आश्वासन ढांचा तैयार करना, जो कौशल प्रशिक्षण के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों पर एकदम खरा उतरे।
  • कुछ ऐसे विशिष्ट कार्यक्रमों की रचना करना जो की वैश्विक रोज़गार के मानदंडों पर खरे उतरते हों और जिससे की प्रशिक्षुओं को देश से बाहर भी नौकरी मिल सके।
  • सभी केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों, कार्यान्वयन एजेंसियों तथा विभागों के कौशल विकास प्रयासों को समन्वित करना तथा उत्तरोत्तर बढ़ावा देना।
  • क्रेडिट ट्रान्सफर सिस्टम की मदद से औपचारिक शिक्षा प्रणाली और व्यावसायिक शिक्षा प्रणाली के बीच संपर्क को सुद्र्ड करना और उसे संबल देना।
  • क्षमता निर्माण और कौशल प्रशिक्षण के प्रयासों को संबल देने के लिए पहले से ही मौजूद सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे और औद्योगिक सुविधाओं का प्रयोग करना।
  • समाज के कमज़ोर और वंचित वर्गों का समर्थन करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और विभिन्न लक्षित विकास गतिविधियों को उन तक पहुंचाना।
  • युवाओं को कौशल प्रशिक्षण से होने वाले लाभों के बारे में अवगत कराना तथा प्रेरित करना।
  • एक राष्ट्रीय लेबर मार्केट इनफॉर्मेशन सिस्टम (LMIS) डाटाबेस तैयार करना जिससे की कुशल कर्मचारियों की मांग और आपूर्ति को आपस में जोड़ा जा सके। जहाँ एक और ये सिस्टम देश के नागरिकों को देश/विदेश में चलाये जा रहे कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों की जानकारी देगा, वहीं दूसरी ओर ये देश में पहले से ही चल रहे कौशल विकास कार्यक्रमों की निगरानी और देखरेख भी करेगा।

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कौशल विकास अभियान के उप-लक्ष्य:

राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के प्रमुख रूप से सात उप-मिशन हैं।

ये उप-लक्ष्य, मुख्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नींव के पत्थर की तरह कार्य करते हैं।

आइये जानते हैं इन उप-लक्ष्यों के बारे में:

संस्थागत प्रशिक्षण (Institutional training) :

इस उप-लक्ष्य के मुख्य उद्देश्य हैं:

  • प्रशिक्षण प्रावधानों और उनके परिणामों की मदद से मात्रा, गुणवत्ता और पहुँच को बढ़ाना।
  • शैक्षणिक योग्यता और नौकरी बाज़ार दोनों के लिए हर तरफ से रास्ते तैयार करना।
  • ऐसा प्रशिक्षण देना जो की मांग और परिणाम पर आधारित हो, जिससे की उच्च प्लेसमेंट दर को प्राप्त किया जा सके।
  • DDG (प्रशिक्षण) के अंतर्गत सारे मौजूदा प्रशिक्षण संस्थानों जैसे ITI, ATI आदि का उन्नयन और आधुनिकरण करना ताकि उन्हें औद्योगिक मांगों के प्रति अधिक जवाबदेह और संवेदनशील बनाया जा सके।
इंफ्रास्ट्रक्चर (Infrastructure):
  • इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में क्षमता बढ़ाना और उच्च गुणवत्ता कौशल विकास को सुनिश्चित करना। इसके लिए साईट पर ट्रेनिंग देने पर जोर होगा।
  • अगले पाँच सालों में निर्माण क्षेत्र में अनुमानित 31 मिलियन कर्मियों की आवश्यकता की पूर्ति करना।
अभिसरण (Convergence):

देश में विभिन्न स्तरों पर स्थापित कौशल विकास प्रयासों के बीच बेहतर अभिसरण और समन्वय स्थापित करना ताकि कौशल विकास कार्यक्रमों का उचित लाभ हर स्तर पर मिल सके।

प्रशिक्षक (Trainer):
  • पूरे देश में मौजूद और स्थापित होने वाले प्रशिक्षण संस्थाओं की समग्र गुणवत्ता को सुधारना और विकास करना।
  • सभी कौशल प्रशिक्षण संस्थाओं में प्रशिक्षकों की पर्याप्त उपलब्धता और गुणवत्ता का ध्यान रखना।
  • प्रशिक्षकों को दीर्धकालीन रोज़गार अवसर प्रदान करना।
प्रवासी रोज़गार (Migrant employment):
  • युवाओं को उच्चतम वैश्विक मानकों पर प्रशिक्षण प्रदान करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें विदेशों में रोज़गार प्राप्त करने में कोई परेशानी ना हो।
  • प्रशिक्षुओं को विदेशों में मौजूद रोज़गार अवसरों के बारे में जानकारी प्रदान करना और उन्हें वो अवसर मुहैया भी कराना।
  • श्रमिकों की अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता को सुनिश्चित करना।
सतत आजीविका (Sustained livelihood):

प्रशिक्षुओं को बेहतर कौशल विकास का प्रशिक्षण दे कर, उन्हें दीर्धकालीन स्थायी आजीविका के अवसर प्रदान करना।

सार्वजनिक बुनियादी ढांचा (Public infrastructure):

पहले से ही मौजूद सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे की उपयोगिता को बढ़ाना ताकि कौशल विकास प्रयासों को पूरे देश में संबल दिया जा सके।

फाइनेंसिंग (Financing):

बजट प्रावधानों के अनुसार ही कौशल विकास की विभिन्न क्रियाओं और योजनाओं के क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना।

ये बजट कौशल विकास और उद्द्यमिता  मंत्रालय द्वारा पारित होता है।

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