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फ़ास्ट टैग (Fastag) क्या होता है और ये कैसे काम करता है?

आज का हमारा Topic है Fastag पर, तो आइये जानतें हैं फ़ास्ट टैग (Fastag) क्या होता है और कैसे काम करता है?

आज-कल जो टोल नाके पर भीड़ रहती है, शायद हमें उसका इलाज मिल गया है, फ़ास्ट टैग से।

फ़ास्ट टैग पूरे देश में चर्चा में है क्योंकि यह 1 दिसम्बर 2019 से पूरे देश में लागू होने वाला था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसकी अवधि 15 दिसम्बर तक और बाद बे 15 जनवरी 2020 तक बढ़ा दी गयी है।

फ़ास्ट टैग का लोगो बहोत ही आकर्षक बनाया गया है। इसका FAS शब्द केसरिये रंग में F में arrow के साथ है।

जिसका मतलब है, “गति” । TAG शब्द को हरे रंग से लिखा गया है, जिसका मतलब है, “रास्ता” और निचे एक टैग लाइन दी गयी है, “Easy To Cruise”जिसका मतलब है, आप इसके सहारे आराम से कही भी आ-जा सकते है, आपको कोई भी परेशानी नहीं होगी और आपका सफर एकदम आसान होगा।

अब देखते है कि फ़ास्ट टैग आखिर क्या होता है और ये कैसे काम करता है?

फ़ास्ट टैग (Fastag) क्या होता है ?

फ़ास्ट टैग यह एक डिवाइस या चीज है जिसमे रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का इस्तेमाल होता है।

इस तकनीक के इस्तेमाल से चलते टोल नाके पर वाहन का पेमेंट उसके वॉलेट से अपने-आप हो जायेगा और उसे पेमेंट के लिए रुकना नहीं पड़ेगा।

फ़ास्ट टैग को सिर्फ़ उस वाहन के विंडो स्क्रीन पर लगाना होगा उसमे एक RFID की एक चिप लगी हुई होगी।

जब भी आपकी गाड़ी टोल नाके के पास आएगी, उस टोल नाके पर लगा हुआ सेंसर आपके गाड़ी के चिप को एक्सेस कर लेगा, जिससे आपके अकाउंट से लिंक कर दिया था।

ऐसे में उस टोल नाके के जितने पैसे लगते है, वह आपके अकाउंट से अपनेआप कट जायेंगे, जिससे आपको उस टोल नाके पर रुकना नहीं पड़ेगा और आपके श्रम और समय की बचत हो जाएगी।

रोड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय का यह एक फ्लैगशिप या प्रमुख प्रोग्राम है जिसे “नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन” के द्वारा तैयार किया गया है।

ऐसा नहीं है कि फ़ास्ट टैग अभी-अभी लागू हुआ है, बल्कि यह 2016 से ही आया हुआ है। लेकिन अभी तक इसकी सख्ती नहीं की गयी थी।

इसका प्रमुख उद्देश्य है की, देश के प्रमुख टोल नाकों पर जो लाईने लगी रहती है जिससे समय और पैसे की बर्बादी होती है, उसे कम करना और टोल वसूली डिजिटली बढ़ाना, साथ में कॅश का कम करना।

इसको सरे देशभर में स्थापित / लागु करने का ठेका IHML कंपनी को मिला है।

फ़ास्ट टैग के लिए हर टोल नाके पर अलग से एक या दो लेन बनी हुई होती थी, जिससे सिर्फ़ वही वाहन गुजर सकते थे, जिनमे फ़ास्ट टैग प्रणाली लगी हुई थी।

वे या तो खली रहती थी या फिर कभी-कभी वह से भी वाहन को जाने की अनुमति दी जाती थी।

यह सिर्फ़ इसलिए होता था कि, अब तक फ़ास्ट टैग ऑप्शनल था। लेकिन अब यह किसी भी नेशनल हाइवे के टोल नाके पर कंपल्सरी हो गया है।

अब यह देखते है कि फ़ास्ट टैग जरूरी होने के क्या मायने है?

फ़ास्ट टैग क्यों जरूरी है ?

अब 15 जनवरी 2020 से सभी नेशनल हाइवे के टोल नाके पर सभी लेन पर भुगतान सिर्फ़ फ़ास्ट टैग से ही होगा, सिर्फ़ एक लेन को छोड़कर और इस लेन को कहा जायेगा, हाइब्रिड लेन (hybrid lane)

इसको हाइब्रिड लेन इसलिए कहा जायेगा क्योंकि इस लेन से फ़ास्ट टैग और कॅश, दोनों से पैसे का लेन-देन हो सकेगा।

अब से NHAI (नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया) के 560 से ज़्यादा टोल प्लाजा इस तकनीक के अंतर्गत आ गए है जिसकी मदत से किसी भी मानवी दखलअंदाजी के बिना वाहनों का टोल काटा जायेगा।

अगर कोई भी वाहन, फ़ास्ट टैग के बिना, उस लेन में प्रवेश करता है, जिसमे फ़ास्ट टैग अनिवार्य है, तो उस वाहन चालक से टोल का दुगना पैसा वसूला जायेगा।

मन लीजिये, अगर किसी टोल प्लाजा पर 100 रुपये टोल देना है और आपकी गाड़ी फ़ास्ट टैग लेन से, फ़ास्ट टैग के बिना जाती है तो आपसे 200 रुपये वसूले जायेंगे।

फ़ास्ट टैग के फायदे:

एक रिपोर्ट बताती है की, ट्रक्स या बड़े वाहनों की टोल नाके पर जो कम स्पीड होती है उससे सालाना लगभग अपने देश को 60000 करोड़ का नुकसान होता है।

फ़ास्ट टैग से यह नुकसान कम-से-कम 80 से 85 प्रतिशत कम हो जायेगा।

फ़ास्ट टैग उपभोक्ता

  • फ़ास्ट टैग प्रणाली से सभी वाहन जल्दी से टोल प्लाजा से जल्द-से-जल्द आवागमन कर सकेंगे जिससे, समय की बचत-ही-बचत हो जाएँगी।
  • फ़ास्ट टैग उपभोगतावों को किसी भी प्रकार के नकद साथ में रखने की ज़रूरत नहीं क्योंकि सारा लेन-देन कॅशलेस हो जायगा।
  • फ़ास्ट टैग से ईंधन की बचत होगी क्योकि टोल प्लाजा पर अब ज़्यादा देर तक रुकने की ज़रूरत नहीं।
  • फ़ास्ट टैग को आप आसानी से मोबाइल की तरह रिचार्ज कर सकते हो। आप इसके वॉलेट में डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन बैंकिंग, NEFT, RTGS, आदि से रिचार्ज कर सकते हो।
  • इसके आलावा आपको SMS अलर्टस की भी सुविधा मिलती हैं जिससे आपको पता चल जाता हैं कि आपके फ़ास्ट टैग वॉलेट में बैलेंस कितना हैं, और यह बैलेंस पर्याप्त हैं या नहीं। यदि नहीं तो आपको अकॉउंट को और रिचार्ज करना होगा।
  • बहुत सारे मर्चेंट बैंक उनके फ़ास्ट टैग उपभोक्ताओंको डिस्काउंट या कैशबैक के ढेरो सारे इनाम देती है, जिससे उपभोक्ताओं फायदा ही फायदा होता हैं।

टोल ऑपरेटर्स:

  • इससे हाइवे मैनेजमेंट और सुचारु हो जाएगी।
  • टोल प्लाजाओं को मैनेज करने में मदत मिलेगी।
  • ऑपरेटिंग कॉस्ट में कमी आएगी।
  • ऑडिट कण्ट्रोल और अच्छा हो जायेगा।

सरकार के लिए:

  • सारे टोल के व्यवहार में पारदर्शिता आएगी।
  • ईंधन की बचत होगी।
  • फ़ास्ट टैग तकनीक से पर्यावरण को भी फायदा होगा क्योंकि न केवल प्रदुषण के मात्रा में कमी आएगी, बल्कि पेपरवर्क भी ना के बराबर होगा।
  • कायदे-कानून में बाध्यता
  • टोल बूथ्स में जो कैमरे लगे हुए होते है, उनसे पता चलता है कि कोई व्यक्ति यातायात नियमों का सही रूप से पालन कर रहा है या नहीं। इसके आलावा चोरी की गयी गाड़ी का भी इससे पता चल सकता है।

टैक्स चोरी पर प्रहार:

  • IHMCL और GST नेटवर्क के बिच में एक MOU तैयार किया गया है जिससे फ़ास्ट टैग को e-way bill system से एकीकृत किया गया है।

फ़ास्ट टैग के नुकसान:

  • आस पास रहने वाले लोगों को मंथली पास के लिए दिक्कत होगी।
  • फ़ास्ट टैग मुहैया करनेवाली कंपनियां यूजर के लोकेशन को ट्रैक कर सकते है।
  • अगर आप किसी बैंक से यह सुविधा लेते हो तो पांच साल तक आप उसे बदल नहीं सकते।
  • स्टेट हाईवे ने अभी तक फ़ास्ट टैग को लागु नहीं किया है।
  • कॅश से दुगने पैसे वसूलना अन्यायपूर्ण है।
  • फ़ास्ट टैग क्लोन हो सकता है।
  • REID स्कैनर के द्वारा दी गयी इनफार्मेशन से कोई भी व्यक्ति गुनाह कर सकता है।
  • कभी-कभी यह प्रणाली सुचारु ढंग से नहीं चलती।

तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में हमने जाना कि फ़ास्ट टैग (Fastag) क्या होता है और Fastag कैसे काम करता है?

दोस्तों उम्मीद करता हु कि ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी। अगर इससे रिलेटेड कोई और भी जानकारी है जो मैंने यहाँ पे नहीं दिया है, तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें।

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