इंटीरियर डिजाइनिंग में डिप्लोमा की पूरी जानकारी
इंटीरियर डिजाइनिंग क्या है ?
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भारत में करिअर के रूप में इंटीरियर डिजाइनिंग बड़ी तेजी से लोकप्रिय बन चुका है और छात्र खुद अपनी मर्जी से इसे अपने करिअर के रूप में चुनते हुए नजर आते है।
गौरी खान, सूझेन खान और ट्विंकल खन्ना जैसी बॉलीवुड से जुड़ी हुई मशहूर हस्तियां भी सफलतापूर्वक इस क्षेत्र में कार्यरत है।
इंटीरियर डिजाइनिंग का डिप्लोमा कोर्स करने के बाद सबसे लोकप्रिय करिअर प्रोफाइल इंटीरियर डिज़ाइनर और डेकोरेटर को माना जाता है, जो घर, कार्यालय जैसे प्रतिष्ठानों की संरचना, रंग, योजना, सजावट आदि का ध्यान रखते है।
इंटीरियर डिज़ाइनर का मुख्य कार्य होता है, किसी भी प्रतिष्ठान को आकर्षक बनाना, साथ ही उपयोगिता वस्तुओं की पेशकश करना।
इंटीरियर डिजाइनिंग डिप्लोमा कोर्स:
किसी भी प्रतिष्ठान में चीजों की संरचना ( structure) और व्यवस्था करने की कला का ट्रेनिंग , इंटीरियर डिजाइनिंग कोर्स के दौरान छात्र को दिया जाता है।
इंटीरियर डिजाइनिंग डिप्लोमा छात्र को इस कदर तैयार करता है की, वह अपने अध्ययन और ज्ञान के आधार पर उद्योग में आवेदन की मांग का सामना कर सकें।
इंटीरियर डिजाइनिंग में डिप्लोमा कोर्स एक साल या दो साल की अवधि का एक सर्टिफिकेट कोर्स है।
लंबे समय के डिग्री कोर्स की जगह छात्र एक या दो साल के डिप्लोमा कोर्स को चुनकर, इंटीरियर डिजाइनिंग के सिद्धांतों को समझ सकता है।
साथ ही छात्र को व्यवहारिक स्तर के कौशल भी सिखाए जाते है।
इंटीरियर डिजाइनिंग में अलग-अलग स्तर पर कोर्स किया जा सकता है।
1. डिप्लोमा कोर्स की अवधि – 1 या 2 साल।
(a) डिप्लोमा इन इंटीरियर डिज़ाइन -1 साल
(b) डिप्लोमा इन इंटीरियर डिज़ाइन एंड आर्किटेक्चर- 2 साल
2. सर्टिफिकेट कोर्स – कोर्स की अवधि – 6 महीने से 1 साल।
(a) सर्टिफिकेट इन इंटीरियर डिज़ाइन – 6 महीने
(b) सर्टिफिकेट इन इंटीरियर डिज़ाइन एंड डेकोरेशन – 1 साल
इंटीरियर डिजाइनिंग में स्कोप:
पहले की तुलना में आज इंटीरियर डिजाइनिंग का क्षेत्र अधिक प्रतिस्पर्धी बन चुका है।
टीवी और फिल्मों के क्षेत्रों में लगने वाले सेट की संरचना और सजावट का कार्य इंटीरियर डिज़ाइनर द्वारा ही किया जाता है।
इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में बढ़ती मांग को ध्यान में रखकर कई सारे महाविद्यालयों में, अलग-अलग स्तर पर इंटीरियर डिजाइनिंग के कोर्स को उपलब्ध किया गया है।
सिविल इंजीनियरिंग के क्षेत्र के बाद सबसे ज्यादा स्कोप इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में देखा जाता है।
भारत के प्रमुख शहर जैसे मुंबई, पुणे, बैंगलोर, दिल्ली आदि में इंटीरियर डिज़ाइनर की मांग अधिक है।
इंटीरियर डिजाइनिंग डिप्लोमा करने के लिए आवश्यक गुणवत्ता:
इंटीरियर डिजाइनिंग डिप्लोमा प्रवेश के लिए छात्र को 10 वी या 12 वी कक्षा में 50% गुणों के साथ उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
साथ ही आरक्षित श्रेणियों के लिए 40% से 45% गुण होना अनिवार्य है।
अनिवार्यता के अलावा विभिन्न इंस्टिट्यूट्स में प्रवेश के नियम अलग हो सकते है।
कुछ इंस्टिट्यूट्स प्रवेश परीक्षा का आयोजन करती है। और इस प्रवेश परीक्षा में उचित श्रेणी प्राप्त छात्र को संस्थान में प्रवेश मिलता है।
कुछ संस्थान उचित छात्रों की मेरीट सूची जाहिर कर, प्रवेश देते है।
छात्र जिस इंस्टिट्यूट में प्रवेश लेने के लिए इच्छुक है, वहाँ संपर्क कर प्रवेश परीक्षाओं की जांच करें।
छात्र में आवश्यक कौशल:
1. रचनात्मक और विश्लेषणात्मक मानसिकता
2. डिज़ाइन और संरचना का योग्य ज्ञान
3. समस्या सुलझाने की तैयारी
4. पारस्परिक कौशल
5. कलात्मक क्षमता
इंटीरियर डिजाइनिंग एक ऐसा कोर्स है, जहाँ पर घर या कार्यालय के रंग से टेबल-कुर्सियों की संरचना तक, हर एक चीज़ के नियोजन के लिए छात्र को प्रशिक्षित किया जाता है।
इंटीरियर डिजाइनर या डेकोरेटर की जिम्मेदारियां:
1. नए-नए प्रोजेक्ट की खोज में रहना।
2. ग्राहक की आवश्यकताओं, खर्च और इच्छा का विशेष ध्यान रखना।
3. डिजाइनिंग कार्य से जुड़े स्केच बनाकर ग्राहक को कार्य की कल्पना देना।
4. प्रकाश, फर्श और दीवारों के अनुसार सामग्री और सजावट को निर्दिष्ट करना।
5. प्रोजेक्ट के अनुसार उसे पूरा करने का समय निश्चित कर, उचित समय मे ही अपना कार्य पूर्ण करना।
6. कार्य पूर्ण होने के बाद ग्राहक संतुष्ट है या नहीं, यह सुनिश्चित करें।
इंटीरियर डिजाइनिंग डिप्लोमा कोर्स में सिखाए जाने वाले विषय:
1. Design Skills
2. Art & Graphics
3. Construction & Design
4. Computer-Aided Graphic Design
5. Interior Design Theory
6. Construction Technology
7. Design Practice
8. Materials and Finishes
9. Color Theory and Techniques
10. Cost Estimation
11. Furniture Design
कोर्स के बाद आपको किस क्षेत्र में जॉब मिल सकती है:
विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं की संरचना, सजावट अलग होती है। जैसे कि घर में आप अपनी पसंद का कोई भी रंग दीवारों पर लगा सकते है। लेकिन वहीं कार्यस्थल(workplace) का डिजाइनिंग करते समय आपको आकर्षक, हल्का रंग और ग्राहकों के मन में आसानी से जगह बना सके, ऐसी सजावट का आयोजन करना पड़ता है।
डिप्लोमा के बाद छात्र निम्नलिखित क्षेत्र में अपना इंटीरियर डिजाइनिंग का कार्य कर सकते है:
1. Interior Design Firm
2. Architecture & Design Firm
3. Infrastructure Property Developers
4. Furniture Manufacturing & Designing Firms
5. Interior Design Shop
इंटीरियर डिजाइनिंग प्रोजेक्ट के प्रकार:
आवासीय परियोजना(Housing Project) : – इसमें घर, फ्लैट, बंगला, फार्म हाउस जैसे व्यक्ति के निवासी स्थानों का समावेश होता है।
कार्यस्थल परियोजना (Workplace project) : इसमें छोटी से बड़ी हर कंपनी के कार्य स्थल और कारखानों का समावेश किया जाता हैं।
वाणिज्यिक परियोजना (Commercial project): इसमें दुकानें, शॉपिंग मॉल, सम्मेलन तथा आतिथ्य उद्योग के लिए होटल, रेस्टोरेंट, कैफे जैसी जगह शामिल होती है।
साथ ही फिल्म, टीवी, थिएटर, प्रदर्शनी केंद्र, इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों में भी जॉब के अवसर प्राप्त होते है।
इंटीरियर डिजाइनिंग में डिप्लोमा कोर्स के बाद जॉब और सैलरी :
इंटीरियर डिजाइनिंग में डिप्लोमा पूरा करने के बाद छात्र Wedding decorator, draftsman, assistant manager ऐसे अनेक पदों पर कार्य कर सकता है।
डिप्लोमा पूरा करने के बाद शुरुआती दिनों में एक वर्ष की तनख्वाह 3 लाख से ज्यादा होती है।
साथ ही इस क्षेत्र में बढ़ते अनुभव के साथ तनख्वाह 20 लाख तक बढ़ सकती है।
वेडिंग डेकोरेटर(Wedding decorator)
ग्राहक की पसंद अनुसार शादी के सेट की सजावट करने का कार्य वेडिंग डेकोरेटर करता है। इसकी एक साल की तनख्वाह 2 से 2.5 लाख रुपये होती है।
ड्राफ्ट्समैन(draftsman):
इमारतों की सजावट, सेट उप आदि की योजनाओं के लिए टेक्निकल ड्राइंग करने का कार्य ड्राफ्ट्समैन करता है, जिसकी एक साल की तनख्वाह करीबन 2 लाख रुपये होती है।
सेट उप डिज़ाइनर(Set up designer):
फ़िल्म स्टूडियो, टीवी सिरीअल्स के सेट, प्रदर्शनी से संबंधित सेट अप को तैयार करने की जिम्मेदारी सेट अप डिज़ाइनर की होती है।
सेट अप डिज़ाइनर की एक वर्ष की तनख्वाह 2.5 लाख रुपये इतनी होती है।
बिज़नेस हेड( Business head):
इंटीरियर डिज़ाइन के क्षेत्र में कार्यरत व्यवसाय को बढ़ाने का कार्य बिज़नेस हेड द्वारा किया जाता है।
इस पद की एक वर्ष की तनख्वाह करीबन 3 लाख रुपये इतनी होती है।
असिस्टेंट डिज़ाइनर (Assistant designer):
वरिष्ठ डिज़ाइनर को प्राप्त प्रोजेक्ट में उसकी सहायता करना, सारी योजनाओं की व्यवस्था देखने की जिम्मेदारी असिस्टेंट डिज़ाइनर की होती है।
असिस्टेंट डिज़ाइनर की एक वर्ष की तनख्वाह करीबन 3 लाख रुपये होती है।
इंटीरियर डिजाइनिंग डिप्लोमा कोर्स की फीस:
हर इंस्टिट्यूट की फ़ीस अलग होती है और छात्र के कोर्स की अवधि अनुसार भी यह निश्चित होती है।
लेकिन अनुमान के साथ इंटीरियर डिजाइनिंग में डिप्लोमा करने के लिए फ़ीस कम से कम 30,000 रुपये और ज्यादा से ज्यादा 2,20,000 रुपये हो सकती है।
भारत के सबसे बेहतरीन इंटीरियर डिजाइनिंग इंस्टिट्यूट:
निम्नलिखित इंस्टिट्यूट्स भारत की सबसे बेहतरीन इंटीरियर डिजाइनिंग इंस्टिट्यूट्स में से एक है।
इंस्टिट्यूट की एक वर्ष की फ़ीस साथ में दी गई है।
1. IIFT, Chandigarh
One year fee – Rs 55,000.
2. JD Institute of Fashion Technology, Mumbai
One year fee – Rs 63,000.
3. Hamster Institute of Fashion and Interior Design, Hyderabad
One year fee – Rs 50,000.
4. Academy of Applied Arts, New Delhi
One year fee – Rs 39,000.
5. Inter National Institute of Fashion Design, New Delhi
One year fee – Rs 45,000.
6. Madras Institute of Fashion Technology, Chennai
One year fee – Rs 50,000.
7. APJ Institute of Design, New Delhi
One year fee – Rs 1,72,000.
8. WLCI School of Fashion, Pune
One year fee – Rs 1,41,000.
9. International Academy of Fashion Technology, Haridwar
One year fee – Rs 15,000.
10. Axis Institute of Fashion Technology, Kanpur
One year fee – Rs 91,000.
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