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कंज्यूमर कोर्ट क्या होता है, कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत कैसे दर्ज करायें?

कंज्यूमर कोर्ट क्या होता है? यहाँ पर अपनी शिकायत कैसे दर्ज करायें?

कंज्यूमर कोर्ट क्या होता है:

जैसा की आपको नाम से ही स्पष्ट हो रहा होगा कि कंज्यूमर कोर्ट (उपभोक्ता न्यायालय) भारत में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के विशेष उद्देश्य से बनाया हुआ न्यायालय है। ये न्यायालय भारत सरकार ने उपभोक्ता अधिकारों की विशेष देख-रेख और रक्षा के लिए बनाये हैं।

ये उपभोक्ताओं की सभी शिकायतों को सुनते हैं और उचित फैसला लेने का अधिकार रखते है। इनका मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना होता है कि विक्रेता उपभोक्ता के प्रति ईमानदार रहे, जिससे की व्यवसाय भी सुचारू रूप से हो और उपभोक्ता का शोषण भी ना हो।

अगर आप उपभोक्ता हैं तो आपके साथ विक्रेता द्वारा किये हुए किसी भी धोके, शोषण या उत्पीड़न की शिकायत आप कंज्यूमर कोर्ट में दर्ज करा सकते हैं। आप सीधे ही विक्रेता के खिलाफ मामला दर्ज करा सकते हैं। पर केस दर्ज कराते समय आपको एक बात का विशेष ध्यान रखना होगा।

कंज्यूमर कोर्ट उपभोक्ता के हक़ में तभी फैसला सुनाते हैं, जब उपभोक्ता के पास वह सब सबूत हों जो ये बताते हों की उनका वास्तव में शोषण हुआ है।

अगर उपभोक्ता के पास किसी भी प्रकार का कोई भी सबूत ना हो तो उनके हक़ में फैसला होना बहुत मुश्किल है।

कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत कैसे दर्ज करायें?

कुछ बातें जिनका शिकायत दर्ज कराने से पहले ध्यान रखना ज़रूरी है:

शिकायत दर्ज कराने के लिए सबसे ज़रूरी यह है कि सबसे पहले आप उपभोक्ता हों। हालांकि ऐसा बताना हास्यास्पद होगा, क्योंकि ये तो स्पष्ट ही है। परन्तु यहाँ मैं आपको विशेषकर ये इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि कईं बार पुन: बिक्री करता (री-सेलर) भी अपने आप को उपभोक्ता समझ कर किसी शोषण की शिकायत दर्ज कराने के लिए कंज्यूमर कोर्ट पहुँच जाते हैं।

आपकी जानकारी के लिए बता दें की री-सेलर, उपभोक्ता की श्रेणी में नहीं आते हैं।

दूसरी बात, केस दर्ज कराने से पहले ये ज़रूरी है कि आप सप्लायर या फिर सेवा-प्रदाता कंपनी को एक नोटिस भेजें जिसमें आपकी शिकायत का पूरा ब्यौरा हो और साथ ही जिसमें उन से उस शिकायत को दूर करने के लिए कार्यवाही करने को कहा हो। आप उन्हें एक महीने का नोटिस दे सकते हैं, अपनी गलती या त्रुटी सुधारने के लिए।

तीसरी और महत्त्वपूर्ण बात ये है कि आपको दो साल के अन्दर-अन्दर कंज्यूमर कोर्ट में अपनी शिकायत दर्ज करनी होती है। दो साल बाद आपकी किसी भी शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती है।

 शिकायत कैसे दर्ज करें:

अगर एक महीने के अन्दर विक्रेता आपकी शिकायत के नोटिस पर कोई कार्यवाही नहीं करता है, तो आपको अपना अगला कदम उठाना चाहिए। अब आपको एक औपचारिक शिकायत दर्ज करनी चाहिए।

ये औपचारिक शिकायत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत दर्ज की जाती है।

सबसे अच्छी बात ये है कि ऐसी शिकायत करने के लिए आप को किसी वकील की आवश्यकता नहीं होती।

आपको बस एक शिकायत पत्र भरना होता है और उसे कंज्यूमर आयोग को जमा कराना होता है।

आप को अगर शिकायत पेश करना नहीं आता है, या इससे सम्बंधित कोई मदद चाहिए हो, तो आप उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम की मदद भी ले सकते हैं।

आप की सहायता के लिए बता दें की आपको उस जिले में ही शिकायत दर्ज करानी चाहिए जहाँ पर दूसरी पार्टी (जिससे शिकायत है) है या उसका ऑफिस या कोई प्रोजेक्ट चल रहा है।

इससे त्वरित गति से केस का निपटारा हो पाता है।

भारत में आप https://consumerhelpline.gov.in/ इस साईट पर जा कर अपनी शिकायत आसानी से दर्ज करा सकते हैं।

शिकायत शुल्क:

आपको शिकायत दर्ज करने के लिए एक निश्चित शुल्क देना होता है जो की आप डिमांड ड्राफ्ट से दे सकते हैं।

कन्ज्यूमर कोर्ट विभिन्न प्रकार की शिकायतों का निपटारा विभिन्न तरीके से करता है।

  • अगर आप का दावा 20 लाख रूपये से कम का है तो आपकी याचिका पर सुनवाई जिला उपभोक्ता निवारण फोरम करता है।

शिकायत शुल्क:

  • 1 लाख तक: 100 रूपए
  • 1 से 5 लाख तक: 200 रूपए
  • 5 से 10 लाख तक: 400 रूपए
  • 10 लाख से ऊपर: 500 रूपए

 

  • अगर आप का दावा 20 लाख से 1 करोड़ तक का है तो आपकी याचिका पर सुनवाई राज्य उपभोक्ता निवारण फोरम करता है।

शिकायत शुल्क:

  • 20 लाख से 50 लाख तक: 2000 रूपए
  • 50 लाख से 1 करोड़ तक: 4000 रूपए

 

  • अगर आप का दावा 1 करोड़ से ऊपर का है तो आपकी याचिका पर सुनवाई राष्ट्रीय उपभोक्ता निवारण फोरम करता है।

शिकायत शुल्क:

किसी भी राशि तक: 5000 रूपए

मुझे लगता है कि अब आपको ये स्पष्ट होगा की किस प्रकार आप कंज्यूमर कोर्ट में अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

अगर आप इससे सम्बंधित और भी जानकारियाँ जानना चाहते हों, तो आप सीधे कंज्यूमर कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट www. consumerhelpline. gov. in पर जा सकते हैं। यहाँ पर शिकायत दर्ज कराना बहुत ही आसान है और सुरक्षित भी है।

किन परिस्थितियों में आप शिकायतें दर्ज कर सकते हैं

  • क्या आपको पता है कि किन त्रुटियों या चूक के लिए आप उपभोक्ता के रूप में अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं? अगर आप को नहीं पता है तो हम बताते हैं। आप इन परिस्थितियों में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं:
  • बिना स्वीकृति ने निर्माण कार्य करना
  • बुकिंग में धोखा करना
  • छिपे हुए शुल्क लेना
  • भूमि पर अधिकार देने में देरी करना
  • किसी तीसरे को फायदा पहुंचाना
  • किसी परियोजना को बीच में ही बंद कर देना जिसमें उपभोक्ता का पैसा लगा हो
  • उपभोक्ता की राशि को जब्त कर लेना
  • बाहरी विकास शुल्क में आकस्मिक बढ़त
  • भूमि के उपयोग की योजना में बिना सहमती परिवर्तन करना
  • कम-मानक या उप-मानक कार्य करना
  • अधिग्रहित भूमि पर अवैध रूप से कुछ निर्माण करना आदि।

अगर आप को वेबसाइट का प्रयोग करने में कोई असुविधा हो या इससे जुडी कोई सहायता आपको चाहिए हो, तो आप कंज्यूमर हेल्पलाइन नंबर 1800-11-4000 पर फोन कर के भी पूछ सकते हैं।

ये हेल्पलाइन उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए ही बनायी गयी है।

इस हेल्पलाइन को प्रयोग करने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इस पर आप अपने प्रश्नों का उत्तर अपनी भाषा में प्राप्त कर सकते हैं।

कंज्यूमर कोर्ट की रचना इसीलिए की गयी है, ताकि आपको साधारण कोर्ट में बहुत ही लम्बे समय तक अपने केस को ना लढना पड़े। इसलिए इसकी सेवाओं का कोई भी धोका धडी या शोषण होने पर बेहिचक प्रयोग करें।

Satwant Yadav: मैं अपने इस ब्लॉग पे इंटरनेट, मोबाइल, कंप्यूटर कैर्रिएर से रिलेटेड आर्टिकल पोस्ट करता हु और ये उम्मीद करता हूँ कि ये आपके लिए सहायक हो। अगर आपको मेरा आर्टिकल पसंद आये तो आप इसे लाइक ,कमेंट अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे और आपको मुझे कोई भी सुझाव देना है तो आप मुझे ईमेल भी कर सकते है। मेरा ईमेल एड्रेस है – hindipost.net@gmail.com.