Essay

किसान आंदोलन पर Essay (1000 Words)

किसान आंदोलन पर Essay (1000 Words)

हमारे देश India की जान किसान ही है। किसानों से ही देश की GDP है। किसान देश की आन बान शान है। आज हम जानेंगे – किसान आंदोलन पर Essay (1000 Words)

इन सबके बावजूद आए दिन किसानों को किसी न किसी परेशानी से जूझना पड़ता है। हमेशा किसानों को उनकी मांग को लेकर आंदोलन करने पड़ते हैं।

किसान आंदोलन एक बार फिर से चर्चा का विषय वन गया है क्योंकि हम सबका अन्नदाता एक बार फिर से सड़क पर आ चुका है। 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

BJP government जो कृषि कानून लेकर आई है उसी के बाद अब फिर से किसान सड़क पर आ खड़े हो गए हैं।

किसानों को नए कृषि कानून से एक डर सताने लगा है। किसानों को लगने लगा है कि नए कानून के लागू होने से मंडियां जो हैं वो खत्म हो जाएंगी और MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर होने वाली खरीदारी भी मानो रुक सी जाएगी।

समय समय पर किसान ऐसे ही सड़कों पर उतर आए हैं और अपनी मांगों को सरकार के सामने रखते रहे हैं।

किसान आंदोलन आज का नहीं बल्कि बरसों से चला आ रहा एक किस्सा है। 2017 में भी एक किसान आंदोलन हुआ था जो शायद कोई भूला नहीं होगा।

2017 का मध्यप्रदेश का वो किसान आंदोलन सबकी आंखों के सामने आज भी वैसे ही चलता है। उस आंदोलन में 7 किसानों को मौत के घाट उतरना पड़ा था।

2017 तथा 2018 में भी किसान सड़क पर उतरे थे। तमिलनाडु के किसान दिल्ली में हाथों में मानव खोपड़ियां लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।

किसान आंदोलन का इतिहास;-

किसान आंदोलन आज से नहीं बल्कि सदियों से चला आ रहा है।

स्व. महेंद्रसिंह टिकैत एक ऐसा नाम है जिसकी पहचान ही किसान आंदोलन से ही है। किसान आंदोलन का एक बहुत बड़ा इतिहास भी है।

◆ अंग्रेजों के खिलाफ भी किसानों ने किया संघर्ष – अंग्रेजों के खिलाफ किसानों ने बहुत बड़ा मोर्चा संभाला। अगर हम इतिहास उठाकर देखें तो हम पाएंगे कि जितने भी किसान आंदोलन हुए हैं उनमें से ज्यादातर आंदोलन अंग्रेजों के खिलाफ ही हुए थे।

दक्कन विद्रोह दक्कन आंदोलन की शुरुआत 1874 में महाराष्ट्र के शिरुर तालुका के करदाह गांव से हुई थी। 

एका आंदोलन इस आंदोलन की शुरुआत उत्तरप्रदेश से हुई थी। 1918 में उत्तरप्रदेश में मदन मोहन मालवीय के नेतृत्व में एक किसान सभा का गठन किया गया था। जवाहर लाल नेहरू ने भी इसमें सहयोग दिया था।

मोपला विद्रोह ये केरल राज्य में शुरू हुआ था। केरल के किसानों ने 1920 में विद्रोह किया था। Starting में ये अंग्रेजों के खिलाफ था।

कूका विद्रोह ये विद्रोह कृषि समस्याओं तथा अंग्रेजों के द्वारा गायों की हत्या को बढ़ावा देने को लेकर पंजाब के कूका लोगों द्वारा किया गया था।

रामोसी विद्रोह रामोसी किसानों ने जमीदारों से परेशान होने के बाद महाराष्ट्र में वासुदेव बलवंत फड़के के नेतृत्व में ये विद्रोह किया था।

◆ तेभागा आंदोलन – ये आंदोलन 1946 में हुआ था और ये किसान आंदोलन में सबसे सशक्त आंदोलन था। बंगाल के करीबन 15 जिलों में ये फैला था। इस आंदोलन में किसानों की एक बहुत बड़ी संख्या ने हिस्सा लिया था।

◆ ताना भगत आंदोलन – इस आंदोलन की Starting 1914 में बिहार से हुई थी। ये आंदोलन लगान की ऊंची दर को लेकर तथा चौकीदारी कर के विरुद्ध था।

तेलंगाना आंदोलन – ये आंदोलन 1946 में आंध्रप्रदेश में जमींदारों और साहूकारों के शोषण के खिलाफ था।

◆ बिजोलिया किसान आंदोलन – ये आंदोलन विजय सिंह पथिक के नेतृत्व में हुआ था। ये आंदोलन 1847 से Start हुआ था और अर्द्ध शताब्दी तक ये चलता रहा था।

◆ अखिल भारतीय किसान सभा – स्वामी सहजानन्द सरस्वती ने 1923 में बिहार किसान सभा का गठन किया था। 

◆ चंपारण सत्याग्रह – इसी को नील विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है। इसकी Starting बंगाल किसानों ने 1859 में ही कर दी थी। 

◆ खेड़ा सत्याग्रह – चंपारण के बाद महात्मा गांधी खेड़ा किसानों से मिले और फिर 1918 में उनकी समस्याओं को लेकर आंदोलन शुरू किया।

◆ बारदोली सत्याग्रह – बारदोली जो कि गुजरात में स्थित है यहां किसानों ने लगान न देने को लेकर एक आंदोलन Start किया था।

किसान आंदोलन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य;-

भारत कृषि प्रधान देश है इस बात तो हम सभी वाकिफ हैं मगर हर साल बाढ़ और सूखे की वजह से कृषि भूमि हमेशा बर्बाद हो जाती है।

किसान जिसे भगवान समझा जाता है उसकी Situation हमेशा ही नाजुक और दयनीय ही रही है।

जितनी मेहनत किसान करता है उसके हिसाब से उसे उतना पारितोषिक नहीं मिल पाता है।

सिर्फ कृषि का ही GDP में 30% का हिस्सा है बावजूद इसके किसान आंदोलन करने को मजबूर रहते हैं।

किसान आंदोलन के प्रमुख कारण;-

किसान आंदोलन के प्रमुख कारण निम्न हैं –

◆ खेती में काम आने वाली नई नई Technologies का लाभ एक आम किसान नहीं उठा पाता है।

◆ आए दिन बीजों के Fertilizers के Price में बढ़ोतरी होती है और फिर किसानों को उनकी उपज का पूरा दाम भी उन्हें मिल नहीं पाता है।

◆ ये तो हम सभी जानते हैं कि India की GDP में कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, ऐसे में किसानों का मानना है कि उन्हें भी धन के वितरण में आनुपातिक हिस्सा दिया जाना चाहिए।

◆ जो भी किसान म द्वारा उत्पादित वस्तु होती है उसका Price सरकार ही तय करती है और सरकार हमेशा MSP बाजार मूल्य से कम ही रखती है।

◆ किसान आंदोलन का असल कारण है Land का असमान वितरण। 

◆ किसान आंदोलन का एक प्रमुख कारण ये भी है कि कृषि को उद्योग का दर्जा नहीं प्रदान किया गया है। 

◆ भण्डारण की अपर्याप्त व्यवस्था, कृषि मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ावों की जानकारी न होने से भी किसानो को पर्याप्त आर्थिक घाटा सहना पड़ता है। 

निष्कर्ष;-

कृषि हमेशा से ही पीछे रही है। जितना ध्यान किसानों और खेती पर देना चाहिए उतना ध्यान कोई देता नहीं है।

किसानों की उपेक्षा करने अब उचित नहीं है। सबसे पहले तो कृषि को एक उद्योग का दर्जा प्रदान कर दिया जाना चाहिए।

इसके साथ ही उत्पादनों का जो भी Price निर्धारण किया जाए उसमें किसानों की भी कुछ भूमिका होनी चाहिए।

जब जब किसान आंदोलन हो तब तब सरकार को इस ओर ध्यान आकर्षित करना चाहिए और उनकी मांग को सुनकर उनके हित में कोई फैसला लेना चाहिए।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
About author

Articles

मैं अपने इस ब्लॉग पे इंटरनेट, मोबाइल, कंप्यूटर कैर्रिएर से रिलेटेड आर्टिकल पोस्ट करता हु और ये उम्मीद करता हूँ कि ये आपके लिए सहायक हो। अगर आपको मेरा आर्टिकल पसंद आये तो आप इसे लाइक ,कमेंट अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे और आपको मुझे कोई भी सुझाव देना है तो आप मुझे ईमेल भी कर सकते है। मेरा ईमेल एड्रेस है – [email protected].
error: Content is protected !!